स्वातंत्र्यवीर सावरकर के सहयोगी गोविंद दरेकर के कविता संग्रह और मंजिरी मराठे की पुस्तिका का विमोचन

स्वातंत्र्यवीर सावरकर के विशालतम् व्यक्तित्व को प्रकट करने के लिए शब्दों की संख्या कम पड़ जाती है। जबकि, उनके सहयोगियों के कार्य भी राष्ट्रीयता से ओतप्रोत वह जीवन दर्शन हैं, जो आगामी पीढ़ियों को सदा भरतीयता की भावना से अभिसिंचित करती रहेगी।

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स्वातंत्र्यवीर सावरकर के घनिष्ठ मित्र और मित्र मेला संगठन के सहयोगी क्रांतिवीर गोविंद त्र्यंबक दरेकर की कविताओं के संग्रह का विमोचन हुआ। इसके साथ ही वीर सावरकर का जीवन दर्शन कराती एक पुस्तिका का प्रकाशन भी संपन्न हुआ। यह कार्यक्रम वीर सावरकर की जन्मस्थली भगूर में आयोजित किया गया था। कवि गोविंद दरेकर की कविताएं स्वतंत्रता संग्राम में राष्ट्र भक्ति के विचारों से लोगों को उद्वेलित कर देती थीं, जबकि वीर सावरकर की जीवनी आगामी पीढ़ियों को क्रांति प्रणेता के त्याग, राष्ट्र के लिए उनके समर्पण और त्याग से परिचित कराएगी।

कवि गोविंद दरेकर की 96वीं पुण्यतिथि पर उनकी कविता संग्रह और मंजिरी मराठे की पुस्तिका ‘सावरकर’ का विमोचन संभव हुआ। इस कार्यक्रम में स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के अध्यक्ष प्रवीण दीक्षित, कार्याध्यक्ष रणजीत सावरकर, मंजिरी मराठे, राजेंद्र वराडकर, शैलेंद्र चिखलकर, कवि गोविंद की कविताओं के जतनकार रघुनाथ महाबल, कारगिल के योद्धा नायक (सेवा निवृत्त) दीपचंद पाबरा और सुभाष उपाध्ये समेत बड़ी संख्या में मान्यवर उपस्थित थे।

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स्वातंत्र्यवीर सावरकर के विचार आत्मसात करें
स्वातंत्र्यवीर सावरकर के पौत्र रणजीत सावरकर ने इस अवसर पर उपस्थित जनों का प्रबोधन किया। उन्होंने, वीर सावरकर के विचारों का वर्णन किया और स्वातंत्रता संग्राम में क्रांतिकारियों के योगदान पर प्रकाश डाला। रणजीत सावरकर ने नई पीढ़ी से स्वातंत्र्यवीर सावरकर के विचारों को आत्मसात करने का आह्वान किया। वे बोले, मातृभूमि का ऋण चुकाने के लिए भी यह परम आवश्यक है कि कुटुंब में स्वातंत्र्यवीर सावरकर के विचारों को वरीयता से सम्मिलित किया जाए, जिससे नई पीढ़ी को यह संस्कार के रूप में प्राप्त हो सके। देश सेवा में खड़े सैनिक भेदभाव न करते हुए राष्ट्र सेवा करते हैं, उनके कार्यों का सम्मान होना चाहिए और युवा वर्ग को सैन्य सेवा में बढ़ चढ़कर सम्मिलित होना चाहिए।

स्वातंत्र्यवीर सावरकर की जीवनी समर्पित
वीर सावरकर की जन्मस्थली पर आयोजित कार्यक्रम में स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक की कोषाध्यक्ष मंजिरी मराठे की पुस्तिका का भी विमोचन हुआ। इस पुस्तक का नाम ‘सावरकर’ है, जिसमें वीर सावरकर के जीवन का संक्षिप्त परिचय है। इस पुस्तिका को मराठी और हिंदी में प्रकाशित किया गया है। इसका उद्देश्य सामान्य जनमानस को स्वातंत्र्यवीर सावरकर के जीवन से परिचित कराना है।

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मित्र मेला के सहयोगी थे कवि गोविंद
स्वातंत्र्यवीर सावरकर द्वारा गठित संगठन ‘मित्र मेला’ के काल से गोविंद त्र्यंबक दरेकर से मैत्री थी। 1899 में वीर सावरकर और उनके बंधु बाबाराव सावरकर से कवि गोविंद मिले थे। आगे जब स्वातंत्र्यवीर ने मित्र मेला की स्थापना की तो कवि गोविंद उसमें सम्मिलित हो गए।

यह कवि गोविंद का पुनर्जन्म ही था, क्योंकि लोक गीत लिखनेवाले कवि गोविंद ने इसके बाद राष्ट्र भक्ति से ओतप्रोत कविताएं और गीत लिखने शुरू कर दिये थे। जिस काल में स्वातंत्र्यवीर सावरकर ने सिंह गढ़ पर लोकगीत और छत्रपति शिवाजी महाराज पर आरती की रचना की, उसी काल में गोविंद दरेकर जी ने अफजल खान पर लोकगीत और छत्रपति शिवाजी महाराज व मावलों के संवाद को प्रस्तुत किया। यहीं से कवि गोविंद त्र्यंबक दरेकर के जीवन का प्रवास स्वातंत्र्य कवि के रूप में आग बढ़ने लगा।

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