भारत पाकिस्तान के बीच 1971 में हुए युद्ध में पाकिस्तान के टैंकों को नेस्तनाबूद करने वाला टी-55 टैंक हिसार में स्थापित किया गया है। लघु सचिवालय के पास स्थित वार मेमोरियल में स्थापित करने के लिए इसे पुणे से लाया गया है। लगभग 36 टन वजनी रशियन टैंक को रखने के लिए तीन क्रेन को बुलाया गया लेकिन इसे रखने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है।
टैंक की लंबाई 32 फीट, चौड़ाई 11 फीट तथा वजन है 36 टन
उपायुक्त उत्तम सिंह ने बताया कि 1971 के भारत-पाक युद्घ में टी-55 टैंक पाकिस्तान की सेना काे भारी नुकसान पहंचाया था। उन्होंने बताया कि इस टैंक को खड़की (पूणे) स्थित ऑर्डिनेंश डिपो से लाया गया है। ऑर्डिनेंस डिपो से टैंक लाने के लिए कर्मचारियों को वहां भेजा गया था। टैंक की लंबाई 32 फीट, चौड़ाई 11 फीट तथा वजन 36 टन है। उपायुक्त उत्तम सिंह ने बताया कि रूस में निर्मित इस टैंक को वर्ष 1968 में भारतीय सेना में शामिल किया गया था। इस अवसर पर जिला सैनिक बोर्ड के कल्याण व्यवस्थापक अधिकारी कैप्टन (सेवानिवृत) गुलशन कुमार सहित अन्य अधिकारीगण उपस्थित थे।
अमेरिका निर्मित टैंकों के उड़ा दिए थे परखच्चे
जिला सैनिक बोर्ड हिसार के सदस्य रिटायर्ड ग्रुप कमांडर गुलशन भाटिया ने 24 फरवरी को बताया कि उपायुक्त उत्तम सिंह के प्रयासों से यह टैंक हिसार पहुंचा है। युद्ध में टी-55 भारतीय टैंकों ने पाकिस्तान सेना के पास मौजूद अमेरिका निर्मित टैंकों के परखच्चे उड़ा दिए थे। इस टैंक ने 1968 से लेकर 2011 तक भारतीय सेना में सेवा दी। इस टैंक की लंबाई 27.6 और 10.8 फीट चौड़ा है। इसकी ऊंचाई 9 फीट है। इसमें रात में देखने के उपकरण लगे हैं। बसंतर की लड़ाई में इसने अपने जौहर दिखाए हैं। इसी टैंक की बदौलत भारतीय सेना ने पश्चिमी मोर्चे पर फाजिल्का सेक्टर को बचाने में कामयाबी हासिल की। टैंक को चार चालक चलाते हैं।