जी-20 संस्कृति कार्य समूह की बैठक में आये मेहमान सारनाथ पहुंचे, ऐसे किया गया स्वागत

जी-20 संस्कृति कार्य समूह (सीडब्ल्यूजी) की चौथी बैठक में शामिल होने आए मेहमान 24 अगस्त की शाम ऐतिहासिक सारनाथ पहुंचे।

344

वाराणसी में भारत की अध्यक्षता में जी-20 संस्कृति कार्य समूह (सीडब्ल्यूजी) की चौथी बैठक में शामिल होने आए मेहमान 24 अगस्त की शाम ऐतिहासिक सारनाथ पहुंचे। भगवान बुद्ध की प्रथम उपदेश स्थली में उन्होंने भारतीय संस्कृति के साथ बौद्ध दर्शन की सुगंध महसूस की और देश और काशी की समृद्ध विरासत,संस्कृति से भी रूबरू हुए। मेहमानों ने पुरातत्व साइट व म्यूजियम का भ्रमण कर अवलोकन किया। इस दौरान अतिथि सेल्फी भी लेते रहे। प्रतिनिधियों को यहां के गाइडों ने पुरातत्व साइट एवं म्यूजियम में रखे पुरातत्व वस्तुओं के महत्व के संबंध में विस्तार से अवगत कराया।

सारनाथ प्रमुख बौद्ध एवं हिन्दू तीर्थस्थल
मेहमानों को बताया गया कि सारनाथ प्रमुख बौद्ध एवं हिन्दू तीर्थस्थल है। ज्ञान प्राप्ति के पश्चात भगवान बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश यहीं दिया था जिसे “धर्म चक्र प्रवर्तन” का नाम दिया जाता है और जो बौद्ध मत के प्रचार-प्रसार का आरंभ था। यह स्थान बौद्ध धर्म के चार प्रमुख तीर्थों में से एक है (अन्य तीन हैं: लुम्बिनी, बोधगया और कुशीनगर)। इसके साथ ही सारनाथ को जैन धर्म एवं हिन्दू धर्म में भी महत्व प्राप्त है।

प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रिक्स के विस्तार को वसुधैव कुटुंबकम से जोड़ा, इन देशों के प्रधानमंत्रियों से की वार्ता

जैन ग्रन्थों में इसे सिंहपुर नाम से उल्लेख
जैन ग्रन्थों में इसे ‘सिंहपुर’ कहा गया है और माना जाता है कि जैन धर्म के ग्यारहवें तीर्थंकर श्रेयांसनाथ का जन्म यहाँ से थोड़ी दूर पर हुआ था। यहां पर सारंगनाथ महादेव का मन्दिर भी है जहां सावन के महीने में हिन्दुओं का मेला लगता है। उन्हें बताया गया कि सारनाथ में अशोक का चतुर्मुख सिंह स्तम्भ, भगवान बुद्ध का मन्दिर, धम्मेख स्तूप, चौखन्डी स्तूप, राजकीय संग्राहलय, जैन मन्दिर, चीनी मन्दिर, मूलंगधकुटी और नवीन विहार इत्यादि दर्शनीय हैं। भारत का राष्ट्रीय चिह्न यहीं के अशोक स्तंभ के मुकुट की अनुकृति है। वर्ष 1905 में पुरातत्व विभाग ने यहां खुदाई का काम प्रारम्भ किया। उसी समय बौद्ध धर्म के अनुयायों और इतिहास के विद्वानों का ध्यान इधर गया। वर्तमान में सारनाथ एक तीर्थ स्थल और पर्यटन स्थल के रूप में लगातार वृद्धि की ओर अग्रसर है।

पुष्प वर्षा कर स्वागत
इसके पहले सारनाथ पहुंचने पर अतिथियों का स्वागत गुलाब की पंखुड़ियां उड़ा कर तथा काशी की परंपरागत तरीके से टीका कर अंगवस्त्रम भेंट कर स्वागत किया गया। सांस्कृतिक कलाकारों ने अपनी कलाओं का प्रदर्शन कर अतिथियों का स्वागत किया। इस दौरान अतिथि भी कलाकारों के साथ नृत्य करते रहे।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.