द कश्मीर फाइल्स : IFFI के लोगों को कहां दिखेगी सच्चाई!

जिस फिल्म में हकीकत दिखाई जाती है, आतंकियों द्वारा हिन्दुओं पर किए गए अत्याचार के बारे में दिखाया जाता है। ऐसी फिल्में इस लोगों को बिलकुल भी पसंद नहीं आती हैं।

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द कश्मीर फाइल्स फिल्म को लेकर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (IFFI) के जूरी हेड नादव लैपिड का एक शर्मसार बयान सामने आया है। IFFI के जूरी हेड ने इस फिल्म को अशिष्ट और प्रोपेगेंडा वाली फिल्म बताया है। उनके इस बयान के बाद एक बात तो साफ हो गई है कि इन लोगों को कश्मीर के पंडितों पर हुए अत्याचार से कोई मतलब नहीं है। इन्हें तो सिर्फ आजकल की अश्लीलता वाली फिल्म ही पसंद हैं। जिन फिल्मों में छोटे-छोटे कपड़े पहनकर कलाकार लगाती हैं, हिन्दू देवी-देवतों का अपमान किया जाता है। उस तरह की फिल्में इन्हें बहुत भाती हैं। लेकिन जिस फिल्म में हकीकत दिखाई जाती है, आतंकियों द्वारा हिन्दुओं पर किए गए अत्याचार के बारे में दिखाया जाता है। ऐसी फिल्में इस लोगों को बिलकुल भी पसंद नहीं आती हैं।

इस फिल्म को प्रोपोगेंडा कहना क्या उचित है?
द कश्मीर फाइल्स एक ऐसी फिल्म है, जिसने हर एक भारतीय को सोचने पर मजबूर कर दिया। इस फिल्म को जिन-जिन लोगों ने देखा वह अपनी आंखों में आंसू नहीं छुपा पाए। ऐसी फिल्म को IFFI के जूरी हेड नादव लैपिड की ओर से प्रोपोगेंडा फिल्म कहना कहां तक उचित है?

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कश्मीरी पंडितों पर अत्याचार को बयां करती फिल्म 
दरअसल, यह एक सच्चाई बयां करने वाली फिल्म है। इस फिल्म में दिखाया गया है कि किस तरह से उस समय कश्मीरी पंडितों पर अत्याचार हुआ, उन्हें अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। उन्हें अपने ही जमीन से बेदखल कर दिया गया। उन्हें जिल्लत की जिंदगी जीने के लिए मजबूर होना पड़ा। सब कुछ लुट गया, सब बर्बाद हो गया। अपने ही घर से उन्हें काफिर कहकर निकाला गया। बहू-बेटियों की इज्जत सरेआम लूट ली गई। अपनी आंखों के सामने अपनों को कटते हुए देखा। यह सब उस समय की बात है जब जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद चरम पर था और वहां के कश्मीरी पंडितों पर जुल्म पर जुल्म ढाया जा रहा था। उस समय की सरकार भी यह सब जानने के बाद भी शांत थी। उसे कश्मीरी पंडितों से कोई भी हमदर्दी नहीं नजर आ रही थी।

इस मंच पर की गई आलोचना 
गोवा में आयोजित 53वें फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया का 28 नवंबर को अंतिम दिन था। इस दौरान जूरी हेड और इजराइली फिल्ममेकर नादव लैपिड ने द कश्मीर फाइल्स की आलोचना की। इस दौरान उन्होंने कहा कि हम सभी डिस्टर्ब हैं कि ऐसी फिल्म को इस फिल्म फेस्टिवल में दिखाया गया है। यह फिल्म वल्गर और प्रोपेगेंडा वाली है।

इजराइल के राजदूत ने बयान को बताया शर्मनाक  
इस मामले में भारत में इजराइल के राजदूत नाओर गिलोन ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। नाओर गिलोन ने IFFI के जूरी हेड नादव लैपिड के बयान को शर्मसार बताया। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में मेहमान को भगवान कहा जाता है। आपने भारत के भरोसे और सम्मान का दुरुपयोग किया है।

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