ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी प्रकरण में ग्रीष्मावकाश के बाद 4 जुलाई को जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश के न्यायालय में सुनवाई हुई। न्यायालय ने प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के अधिवक्ता अभयनाथ यादव की दलीलें सुनने के बाद सुनवाई की अगली तारीख 12 जुलाई तय की।
राखी सिंह सहित पांच महिलाओं की तरफ से दाखिल वाद में सुनवाई के दौरान प्रतिवादी पक्ष के अधिवक्ता अभयनाथ यादव ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ऑर्डर 7 रूल 11 के तहत वाद सुनवाई योग्य है या नहीं, इस पर दलीलें पेश कीं। इससे पहले 30 मई को मुस्लिम पक्ष ने केस को खारिज करने के लिए 39 बिंदुओं पर दलीलें रखी थीं। इस बार आपत्ति के 52 बिंदुओं में से 51 बिंदुओं पर मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता ने अपनी दलीलें पेश कीं।
इस तरह चली है अब तक की सुनवाई
इसके पहले कड़ी सुरक्षा के बीच न्यायालय में केवल वादी, प्रतिवादी और अधिवक्ताओं सहित कुल 49 लोगों को ही प्रवेश दिया गया। जिला न्यायालय भवन के आसपास सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। वादी पक्ष की राखी सिंह ने एक दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर जैन और उनके पुत्र अधिवक्ता विष्णु जैन को मुकदमे से हटा दिया है। उनकी तरफ से मानबहादुर सिंह, शिवम गौड़ और अनुपम द्विवेदी मुकदमा लड़ेंगे। इस संबंध में राखी सिंह की ओर से न्यायालय में वकालतनामा भी दाखिल किया गया। सुनवाई के पूर्व वादी पक्ष की महिलाओं ने श्री काशी विश्वनाथ दरबार में हाजिरी भी लगाई।
इसके पहले की सुनवाई के दौरान न्यायालय में अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के अधिवक्ताओं ने अपना पक्ष रखा था कि विशेष धर्म उपासना स्थल विधेयक 1991 यहां लागू होगा, जिसमें आजादी के समय की धार्मिक स्थल की जो स्थिति थी, वही रहेगी। जबकि हिन्दू पक्ष की दलील रही कि यहां विशेष धार्मिक उपासना स्थल काननू लागू नहीं होगा, क्योंकि यहां आजादी के बाद भी शृंगार गौरी की पूजा होती थी। अंजुमन इंतजामिया के अधिवक्ता अभय नाथ यादव वाद की पोषणीयता पर सवाल उठाते हुए आपत्ति में दर्शाए गए 52 में से 39 बिंदुओं पर पहले ही अपनी दलीलें पेश कर चुके हैं। दिल्ली की राखी सिंह और वाराणसी की लक्ष्मी देवी, सीता शहू, मंजू व्यास व रेखा पाठक की ओर से दायर याचिका पर सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत ने ज्ञानवापी परिसर में सर्वे और वहां वजूखाने में दावे वाले शिवलिंग को सील करने का आदेश दिया था। प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस मामले की पोषणीयता पर सुनवाई सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की अदालत से जिला जज की अदालत में ट्रांसफर कर दिया गया था। जिला जज की अदालत में 26 मई से 30 मई तक सुनवाई चली थी। ग्रीष्मावकाश के चलते सुनवाई चार जुलाई तक टल गई थी। 30 मई के बाद इस मामले में आज सुनवाई हुई। 30 मई को भी मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता ने अपना पक्ष रखा था।
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