देश में पिछले आठ वर्षों में जन औषधि केन्द्रों की संख्या में 100 गुना बढ़ोतरी हुई है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने 1 नवंबर को ट्वीट करके जनऔषधि केन्द्रों को गरीब की दुकान बताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना के तहत 8,809 जनऔषधि स्टोर संचालित हैं, जिसमें प्रत्येक नागरिक के लिए गुणवत्तापूर्ण और सस्ती दवाएं उपलब्ध करायी जा रही है। पिछले 8 वर्षों में जनऔषधि केंद्रों की संख्या में 100 गुना वृद्धि हुई है।
प्रधानमंत्री जन औषधि योजना के तहत संचालित जन औषधि स्टोर में जेनरिक दवाईयां उपलब्ध करवाई जा रही है। जेनरिक दवाईयां ब्रांडेड या फार्मा की दवाईयों के मुकाबले सस्ती होती है, जबकि प्रभावशाली उनके बराबर ही होती है। प्रधानमंत्री जन औषधि अभियान मूलत: जनता को जागरूक करने के लिए शुरू किया गया हैं ताकि जनता समझ सके कि ब्रांडेड मेडिसिन की तुलना में जेनेरिक मेडिसिन कम मूल्य पर उपलब्ध हैं, साथ ही इसकी क्वालिटी में किसी तरह की कमी नहीं हैं।
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