दिव्‍यांगजनों को सम्मानजनक जीवन प्रदान करना पूरे समाज का दायित्‍व – राष्ट्रपति

राष्ट्रपति ने दृष्टिबाधित दिव्‍यांगजनों से अपनी क्षमताओं पर विश्वास रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में दिव्‍यांगता को कभी भी ज्ञान प्राप्त करने और उत्कृष्टता हासिल करने में बाधा नहीं माना गया है। उन्होंने ऋषि अष्टावक्र और महान कवि सूरदास का उदाहरण देते हुए कहा कि "दृष्टि से अधिक महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि है।

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फाइल चित्र

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज नई दिल्ली में नेशनल फेडरेशन ऑफ द ब्लाइंड के स्वर्ण जयंती समारोह में भाग लिया और इस समारोह को संबोधित भी किया। इस अवसर पर अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि दिव्‍यांगजनों को सम्मानजनक जीवन प्रदान करना पूरे समाज का दायित्‍व है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि उन्हें उचित शिक्षा, रोजगार के अवसर, सुलभ सार्वजनिक स्थल और एक सुरक्षित एवं बेहतर जीवन मिले।

राष्ट्रपति ने दृष्टिबाधित दिव्‍यांगजनों से अपनी क्षमताओं पर विश्वास रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में दिव्‍यांगता को कभी भी ज्ञान प्राप्त करने और उत्कृष्टता हासिल करने में बाधा नहीं माना गया है। उन्होंने ऋषि अष्टावक्र और महान कवि सूरदास का उदाहरण देते हुए कहा कि “दृष्टि से अधिक महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि है।”

राष्ट्रपति ने पिछले 50 वर्षों में दृष्टिबाधित दिव्‍यांगजनों के जीवन को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए नेशनल फेडरेशन ऑफ द ब्लाइंड की सराहना की। उन्होंने कहा कि फेडरेशन ने दृष्टिबाधित दिव्‍यांगजनों के समक्ष आने वाली चुनौतियों के बारे में समाज में जागरूकता बढ़ाई है, जिससे समाज अधिक समावेशी बना है।

राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार विभिन्न पहलों के माध्यम से दिव्‍यांगजनों के सशक्तिकरण के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। उन्होंने विश्वास जताया कि नेशनल फेडरेशन ऑफ द ब्लाइंड दृष्टिबाधित दिव्‍यांगजनों के समग्र विकास और सशक्तिकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में सरकार और समाज के साथ मिलकर अपना प्रयास जारी रखेगा।

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