कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने सख्ती दिखाई है। न्यायालय ने कहा है कि इस तरह के संकट में हम मूकदर्शक बने नहीं रह सकते। न्यायालय ने कहा कि सरकार को यह बताना होगा कि कोरोना महामारी से निपटने के लिए उसकी क्या योजना है?
जस्टिस एस.आर. भट्ट ने कहा कि हम दो मुद्दों पर केंद्र सरकार से जवाब चाहते हैं, पहला यह कि कैसे केंद्रीय संसाधनों का इस्तेमाल किया जाएगा। पैरामिलिट्री डॉक्टर्स, पैरामेडिक्स, आर्मी फैसिलिटीज और डॉक्टर्स का कैसे इस्तेमाल किया जा रहा है? और दूसरा, सरकार के पास संकट से निपटने के लिए क्या योजना है?
‘न्यायालय शांत नहीं बैठेगा’
सर्वोच्च न्यायालय ने कोरोना के बढ़ते मामले पर संज्ञान लेते हुए कहा कि उच्च न्यायालयों को निगरानी करनी चाहिए, लेकिन देश का सर्वोच्च न्यायालय चुप नहीं बैठ सकता। न्यायालय ने कहा कि हमारा काम यह है कि राज्यों के बीच समन्वय स्थापित किया जाए। इसके आलावा न्यायालय ने सरकार से यह भी पूछा कि संकट के इस दौर में सेना और अन्य बलों का केंद्र सरकार कैसे इस्तेमाल करेगी। इस दौरान सरकार का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हम पूरी सतर्कता के साथ स्थिति को बेहतर बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
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न्यायालय ने जारी किया था नोटिस
बता दें कि 22 अप्रैल को सर्वोच्च न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लेते हुए सरकार को नोटिस जारी किया था और पूछा था कि कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए आपकी राष्ट्रीय स्तर पर क्या योजना है। वर्तमान स्थिति को राष्ट्रीय आपातकाल के समान बताते हुए मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की बेंच ने केंद्र सरकार से ऑक्सीजन और दवाओं की आपूर्ति तथा टीकाकरण को लेकर भी जवाब मांगा था। न्यायालय ने केंद्र से कोरोना से निपटने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर योजना के बारे में जानकारी मांगी थी।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने लगाई केजरीवाल सरकार को फटकार
इस बीच देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना की बढ़ती रफ्तार पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने केजरीवाल सरकार को कड़े कदम उठाने को कहा है। न्यायालय ने कहा है कि वह ऑक्सीजन की कालाबाजारी के साथ ही रेमडेसिविर और जीवन रक्षक दवाओं की कमी को लेकर कड़ी कार्रवाई करे। उच्च न्यायालय ने सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि आपकी व्यवस्था ध्वस्त हो गई है और यह सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठाए जाने चाहिए कि मेडिकल ऑक्सीजन, जो कम से कम लागत में मिलती है, उसकी कालाबाजारी या जमाखोरी के कारण लोगों को जान न गंवानी पड़े।
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