सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के 2016 में 500 और 1000 के नोटों को बंद करने के फैसले को सही ठहराया है। कोर्ट ने नोटबंदी के खिलाफ दायर सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने केंद्र सरकार को क्लीन चिट दी है। केंद्र सरकार का नोटबंदी का फैसला सही था, इस पर अब सुप्रीम कोर्ट की भी मुहर लग गई है।
नोटबंदी की प्रक्रिया में नहीं हुई कोई गड़बड़ी
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि नोटबंदी से पहले केंद्र और आरबीआई के बीच विचार-विमर्श हुआ था। अदालत ने कहा कि रिकॉर्ड के अनुसार नोटबंदी से पहले छह महीने तक दोनों के बीच में विचार हुआ, उसके बाद यह फैसला लिया गया था। नोटबंदी की प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी नहीं हुई। इस तरह सरकार के फैसले को सही माना जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने इसी के साथ ही नोटबंदी के खिलाफ दायर 58 याचिकाओं को खारिज कर दिया है।
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विचार-विमर्श के बाद लिया गया फैसला
नोटबंदी के खिलाफ दायर याचिकाओं की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार और आरबीआई के बीच विचार-विमर्श के बाद ही केंद्र सरकार ने नोटबंदी का फैसला लिया। इसमें किसी भी प्रकार की कोई अनियमितता नहीं पाई गई है। कोर्ट ने यह भी कहा कि आरबीआई के पास विमुद्रीकरण लाने की कोई स्वतंत्र शक्ति नहीं है।
न्यायमूर्ति एस. ए. नजीर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ इस मामले पर फैसला सुनाया। पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ में न्यायमूर्ति नजीर, न्यायमूर्ति गवई, न्यायमूर्ति नागरत्ना, न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमण्यन हैं। नोटबंदी को चार जजों ने सही ठहराया, जबकि न्यायमूर्ति नागरत्ना फैसले के खिलाफ थीं।