सर्वोच्च न्यायालय ने कोरोना काल में अनाथ हो गए बच्चों के मामले में सुनवाई की। न्यायालय ने इस दौरान कहा कि राज्यों को कोरोना काल में अनाथ हो गए बच्चों को तत्काल राहत पहुंचाने की दिशा मे कदम उठाने की जरुरत है। मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने कहा कि कोरोना महामारी ने देश में बहुत ही अभूतपूर्व स्थिति पैदा कर दी है। इस काल में बड़ी संख्या में बच्चे अनाथ हुए हैं। उन्हें राहत प्रदान की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है।
जिलाधिकारियों को आदेश
न्यायमूर्ति एलएन राव और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की अवकाशकालीन पीठ ने सभी जिलाधिकारियों को 29 मई तक उन बच्चों की पहचान करने को कहा है, जो मार्च 2020 के बाद से अनाथ हो गए हैं। साथ ही न्यायालय ने उन बच्चों की जानकारियां एनसीपीसीआर की वेबसाइट पर डालने के निर्देश दिए हैं। सर्वोच्च न्यायालय का यह आदेश न्यायमित्र गौरव अग्रवाल की याचिका पर दिया गया है। बता दें कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश में करीब 600 बच्चे अनाथ हो गए हैं।
तत्काल राहत पहुंचाने का अनुरोध
याचिका में राज्य सरकारों द्वारा अनाथ बच्चों की पहचान करने और उन्हें तत्काल राहत पहुंचाने का अनुरोध किया गया है। बता दें कि इस महीने पहली बार 24 घंटे में दो लाख से कम 1,86,364 नए मामले सामने आए हैं। आंकड़ों पर नजर डालें तो देश के 44 दिन बाद कोरोना संक्रमण के इतने कम मामले आए हैं।