उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज युवा सिविल सेवकों से लोगों के जीवन को बदलने के लिए जुनून, मिशन और करुणा दिखाने का आह्वान किया। उन्होंने शुक्रवार को उप राष्ट्रपति निवास में उनसे मुलाकात करने वाले 2021 और 2022 बैच के भारतीय डाक सेवा के युवा प्रशिक्षु अधिकारियों से कहा, “उन लोगों को खुशी देने से ज्यादा फायदेमंद और संतोषजनक कुछ नहीं हो सकता जो उम्मीद खो चुके हैं।”
धनखड़ ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों के योगदान और हमारे मेहनती किसानों और श्रमिकों के प्रयासों के कारण भारत का उत्थान टिकाऊ है। भारत की वैश्विक वृद्धि को अजेय बताते हुए उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि सिर्फ एक दशक पहले, हम वैश्विक अर्थव्यवस्था में 10वें स्थान पर थे और अब हम पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं।
युवा अधिकारी प्रशिक्षुओं को ”विकास के दूत” और ”अमृत काल के योद्धा” बताते हुए उन्होंने उनसे अपने नवाचारों और कौशल से भारत के विकास को तेज करने के लिए कहा। इस बात पर जोर देते हुए कि देश परिवर्तन के निर्णायक क्षण में है, वह चाहते थे कि सिविल सेवक समावेशी विकास, वित्तीय समावेशन और सेवा वितरण में आसानी सुनिश्चित करें। लोगों के बीच अनुशासन और राष्ट्रवाद के मूल्यों को विकसित करने का आह्वान करते हुए धनखड़ ने सुझाव दिया कि प्रत्येक डाकघर को मौलिक कर्तव्यों को प्रदर्शित और प्रचारित करना चाहिए। इससे नागरिकों के व्यवहार में बदलाव आएगा।
डाकिया को एक बहुत ही महत्वपूर्ण व्यक्ति और भूमि के हर हिस्से को जानने और कवर करने वाला बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि अंतिम मील तक प्रभावी सेवा वितरण के लिए डाक विभाग के बुनियादी ढांचे और मानव संसाधनों का उपयोग किया जाना चाहिए। सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ में अपने दिनों को याद करते हुए धनखड़ ने कहा कि वह हर रोज अपनी मां को एक पोस्टकार्ड लिखते थे।
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