अयोध्या से पांच लाख मंदिरों के लिए रवाना हुआ पूजित अक्षत कलश, जानें खासियत

अक्षत का भाव पूर्णता से जुड़ा हुआ है यानी जिसकी क्षति न हुई हो। इसलिए जब भी देवी-देवता को अक्षत चढ़ाते हैं तो उनसे कामना करते हैं कि जीवन में कभी भी किसी भी चीज की कमी न हो। इसलिए पूजा में हमेशा अक्षत ही चढ़ाए जाने चाहिए।

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श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट (Shri Ram Janmabhoomi Teerth Kshetra Trust) ने जन्मभूमि मंदिर अयोध्या में रामलला की प्रतिष्ठापना (Ramlala’s installation) के मद्देनजर रविवार को ”पूजित अक्षत कलश वितरण कार्यक्रम” का आयोजन किया। देश के चुनिंदा 101 कार्यकर्ताओं ने पूजन के बाद अक्षत कलश (Akshat Kalash) को विजय मंत्र के साथ ग्रहण किया और इसे लेकर अपने-अपने प्रांत के लिए रवाना हुए। पीतल के प्रत्येक कलश में भरे पांच किलो अक्षत को पहले पांच लाख मंदिरों में पहुंचाया जाएगा। फिर इन्हें घर-घर जाकर अयोध्या स्थित श्रीराम जन्मभूमि मंदिर (Shri Ram Janmabhoomi Temple) में रामलला के दर्शन को आमंत्रित किया जाएगा।

देश के हर गांव में होगा पूजित अक्षत का वितरण
तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के मुताबिक पीतल के कलश में भरे पांच किलो पूजित अक्षत का वितरण देश के हर गांव के हर घर में होना है। इसके माध्यम से श्रद्धालुओं को अयोध्या स्थित नवीन श्रीराम मंदिर में रामलला के दर्शन के लिए आमंत्रित किया जाएगा। श्रद्धालुओं को एक तरह का यह न्योता है। कार्तिक कृष्ण पक्ष (05 नवंबर) को अयोध्या स्थित श्रीराम मंदिर परिसर में सुग्रीव किला के पास आयोजित कार्यक्रम में देश के लगभग सभी प्रदेशों के चुनिंदा कार्यकर्ता बुलाये गये थे। इनको अक्षत से भरे पीतल के पूजित कलश को सौंपा गया। कलश लेते और उसे ले जाते समय सभी 101 कार्यकर्ता विजय मंत्र ”श्रीराम जय राम, जय जय राम” का जाप कर रहे थे। देशभर के 45 प्रांतों के कार्यकर्ता अयोध्या पहुंचे थे। यहां पहुंचे 101 कार्यकर्ताओं को पूजित कलश सौंपा गया, जिसे वह अपने प्रांतो में लेकर रवाना हुए।

पहले पांच लाख मंदिरों में पहुंचाया जाएगा अक्षत
तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के मुताबिक अयोध्या में पूजित अक्षत को पहले देश के पांच लाख मंदिरों में पहुंचाया जाएगा। यहां पूजन होने के बाद उस क्षेत्र के हर घर में पूजित अक्षत को पहुंचाकर श्रद्धालुओं और आमजन को श्रीराम मंदिर के दर्शन को आमंत्रित किया जाएगा। श्रद्धा और विश्वास के इस अक्षत और कलश को ग्रहण करने वालों में कन्याकुमारी से जम्मू-कश्मीर तक के कार्यकर्ता शामिल रहे। इस दौरान श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय, उडुप्पी स्थित पेजावर मठ के स्वामी और तीर्थ क्षेत्र के ट्रस्टी विश्वप्रसन्न जी महाराज, अनिल मिश्र, महंत दिनेन्द्रदास, सांसद लल्लू सिंह, मनोज कुमार, विहिप के राजेंद्र सिंह पंकज, महापौर गिरीशपति त्रिपाठी भी मौजूद रहे।

यह मिलाया गया है अक्षत में-
अक्षत यानी अखंडित सफ़ेद चावल को गाय के घी और हल्दी से रंगा गया है। इसका पूजन पहले अयोध्या में बने अस्थाई श्रीराम मंदिर में हुआ। फिर नूतन मंदिर में श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा के निमित्त पूजित अक्षत कलश वितरण हुआ। वहां से पंक्तिबद्ध रूप में बढ़ते हुए 101 लोगों का यह दल समारोह स्थल पहुंचा। यहां से दल पूजित अक्षत कलश लेकर अपने-अपने प्रांतों और विभागों के लिए रवाना हुए।

क्या है शास्त्रीय मत
अक्षत का भाव पूर्णता से जुड़ा हुआ है यानी जिसकी क्षति न हुई हो। इसलिए जब भी देवी-देवता को अक्षत चढ़ाते हैं तो उनसे कामना करते हैं कि जीवन में कभी भी किसी भी चीज की कमी न हो। इसलिए पूजा में हमेशा अक्षत ही चढ़ाए जाने चाहिए। इसके साथ ही अक्षत का सफेद रंग शांति को दर्शाता है जो जीवन में सुख शांति लाने का काम करता है। शास्त्रों के अनुसार कभी भी चावल को अकेले नहीं चढ़ाना चाहिए। इसके लिए चावल के साथ फूल, कुमकुम, अबीर, रोली आदि जरूर लें।

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