धर्मनगरी काशी के लक्खा मेले में शुमार तीन दिवसीय रथयात्रा मेला 1 जुलाई तड़के शुरू हो गया। मेले में अलसुबह से ही हजारों श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए पहुंचने लगे। भोर में भगवान जगन्नाथ, भइया बलभद्र और बहन सुभद्रा के खास काष्ठ विग्रह को अष्टकोणीय रथ पर विराजमान कराया गया। फिर विग्रहों को पीताम्बर वस्त्र धारण कराया गया। स्वर्ण मुकुट व आभूषण पहनाने के साथ बेला, गुलाब, चंपा, चमेली, तुलसी की मालाओं से शृंगार किया गया।
शुभ मुहूर्त में प्रात: चार बजे प्रभु जगन्नाथ व शालिग्राम पूजन के साथ तड़के 5ः11 बजे मंगला आरती की गई। इस दौरान मौजूद भक्तों ने परम्परानुसार प्रभु का रथ दो पग खींचा। इसके बाद भगवान की अलौकिक झांकी के दर्शन के लिए पट खोल दिए गए। इसके साथ ही दर्शन के लिए भीड़ उमड़ पड़ी। पूरा इलाका जय जगन्नाथ, हर-हर महादेव के गगनभेदी उद्घोष से गूंज उठा। इस दौरान मेला क्षेत्र के सड़क का दायरा कम पड़ गया। लोगों ने प्रभु को फल-पुष्प और तुलसी की माला अर्पित की। भगवान जगन्नाथ की अलौकिक छवि देख श्रद्धालु और उनके परिजन आहलादित होते रहे।
इस तरह रखा जा रहा है भगवान का ध्यान
भगवान जगन्नाथ की दोपहर 12 बजे मध्याह्न भोग आरती, तीन बजे शृंगार आरती , रात आठ बजे भोग शृंगार आरती और रात 12 बजे शयन आरती होगी। उधर,दर्शन पूजन के बाद लोग परिवार सहित मेले में चरखी-झूला पर झूलने के साथ चाट-गोलगप्पे का स्वाद लिया। घर लौटते समय प्रसाद स्वरूप नानखटाई की जमकर खरीदारी की। मेला क्षेत्र में एक दिन पूर्व ही दुकानें सजी हैं। नानखटाई के लिए मशहूर इस मेले में दर्जनों दुकानें लक्सा से महमूरगंज के बीच लगाई जा चुकी हैं। खिलौना, सौंदर्य प्रसाधन, चाट-पकौड़ी की दुकानें लगाने वाले भी मेला क्षेत्र में तीन दिन बिताने की तैयारी में लगे हैं।
धूप-बारिश से बचाने लिए किया गया ये उपाय
धूप और बारिश से बचने के लिए दुकानदार तिरपाल लगाए हुए हैं। भगवान जगन्नाथ भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ प्रतीक रूप से मनफेर के लिए 30 जून की शाम को डोली पर विराजमान हो ससुराल जाने के लिए नगर भ्रमण पर निकले। अस्सी स्थित जगन्नाथ मंदिर से निकली प्रभु की डोली यात्रा में शामिल हजारों भक्त भावविह्वल रहे। जय जगन्नाथ…जय जगन्नाथ… और हर-हर महादेव के घोष के बीच डोली यात्रा अस्सी चौराहा, दुर्गाकुंड, नवाबगंज, कश्मीरीगंज राममंदिर, शंकुलधारा, बैजनत्था, कमच्छा होते यात्रा रथयात्रा क्षेत्र स्थित बेनीराम बाग पहुंची। यहां शापुरी परिवार के सदस्यों ने प्रभु की अगवानी की । प्रभु बगीचे में रात्रि विश्राम करने के बाद ब्रह्म मुहूर्त में रथ पर विराजमान हुए। भगवान की डोली मेला क्षेत्र में पहुंचने से पहले ही उनका रथ मेला क्षेत्र में प्रवेश कर गया। रात में ही पंचमुखी हनुमान मंदिर के निकट रथ का पूजन कर आरती उतारी गई।