स्वतंत्रता प्राप्ति के संघर्ष काल में लोकमान्य तिलक और स्वातंत्र्यवीर सावरकर को सजा के क्रम में मुंबई के डोंगरी कारागार में भी रखा गया था। अब वहां उनके नाम पर स्मारक बनाए जाने का प्रस्ताव है। महाराष्ट्र सरकार के पास इन दोनों महान स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर तिलक-सावरकर स्मृति स्मारक बनाने का प्रस्ताव विचाराधीन है। इसकी घोषणा शिंदे-फडणवीस सरकार वीर सावरकर की जयंती के अवसर पर 28 मई को कर सकती है।
अनगिनत लोग पाएंगे प्रेरणा
लोकमान्य तिलक को मुंबई की डोंगरी जेल में दो बार सजा के तौर पर रखा गया था। वीर सावरकर ने भी अपनी सजा उसी सेल में काटी थी, जिसमें लोकमान्य तिलक को रखा गया था। सावरकर को डोंगरी जेल में ही दो बार आजीवन कारावास, यानी 50 साल की कैद की सजा दिए जाने के फैसले का समाचार मिला था। इसी कारागार में सजा काटते हुए उन्होंने ‘सप्तर्षि’ काव्य की रचना की। डोंगरी जेल में अपनी सजा काटने के दौरान जब सावरकर जेल परिसर में टहलने आते तो आसपास की इमारतों के लोग इकट्ठा होकर उनका अभिवादन करते। तिलक-सावरकर की ऐसी अनगिनत स्मृतियों से आमजन को अवगत कराने और उनसे प्रेरणा लेने के उद्देश्य से यह स्मारक बनाया जाएगा।
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प्राचीन मंदिर और 100 वर्ष पुराने वृक्ष के पास बनेगा स्मारक
इस क्षेत्र में एक प्राचीन मंदिर और 100 साल पुराना पेड़ है। उन्हें बिना नुकसान पहुंचाए एक स्मारक बनाया जाएगा। स्मारक 3-डी तकनीक पर आधारित होगा और इसे सौर ऊर्जा पर चलने के लिए डिजाइन किया जाएगा। इसके अलावा स्मारक परिसर में दोनों महापुरुषों की प्रतिमाएं स्थापित की जाएंगी। उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि वहां तिलक और सावरकर की जयंती मनाने के लिए एक विशेष कार्यक्रम पर विचार किया जा रहा है।
महिलाओं और बच्चों से जुड़े कार्यक्रम प्रस्तुत करने की योजना
राज्य के महिला एवं बाल विकास विभाग ने ‘तिलक-सावरकर स्मृति स्मारक’ के लिए पहल की है। यहां महिलाओं और बच्चों से जुड़ी कई गतिविधियां संचालित की जाएंगी। साथ ही स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से दोनों महापुरूषों से संबंधित साहित्य, विचार एवं अन्य सामग्रियों का प्रदर्शन किया जाएगा। प्राप्त जानकारी के अनुसार इस स्मारक के लिए मुंबई महानगरपालिका से फंड मांगने की चर्चा चल रही है।