बांदा जिला उद्योग व्यापार मंडल में सोमवार को दैनिक उपयोग की वस्तुओं में 5 प्रतिशत अतिरिक्त जीएसटी लगाए जाने का कड़ा विरोध किया है। व्यापारियों ने जिला अधिकारी कार्यालय पहुंचकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए दाल, चावल, आटा आदि वस्तुओं में जीएसटी बढ़ाए जाने का विरोध किया।
व्यापारियों ने कहा कि, इन वस्तुओं में जीएसटी बढ़ाने से महंगाई भी बढ़ेगी। व्यापारियों ने इस संबंध में जिलाधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री एवं वित्त मंत्री को ज्ञापन भेजा और फैसला वापस न लेने पर 16 जुलाई को देशव्यापी आंदोलन करने की चेतावनी दी।
वापस लेने की मांग
-भेजे गए ज्ञापन में कहा गया है कि देश में 1 जुलाई 2017 से एक देश एक टैक्स के नाम पर जीएसटी को लाया गया था। जिसमें अभी तक हुई जीएसटी काउंसिल की 47 बैठकों में 12 सौ से अधिक संशोधन किए जा चुके हैं। जिसमें सरलता आने के बजाय दिन प्रतिदिन कठिनाई बढ़ती जा रही है। जिससे व्यापारियों एवं करदाताओं को अत्यंत कठनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
-उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल निरंतर मांग करता आया है कि ब्रांडेड जो खाद्य वस्तुएं हैं। उनको भी जीएसटी की शून्य की श्रेणी में लाया जाना चाहिए। व्यापार मंडल ने कभी राष्ट्रीय स्तर की कंपनियों के ब्रांड की वकालत नहीं की। परंतु जो छोटे छोटे व्यापारी उद्योग अपने अपने गांव कस्बों में अपनी वस्तुओं पर ब्राण्ड लगाकर विक्रय करते हैं। उनको जीएसटी की शून्य श्रेणी में लाने के लिए निवेदन करते रहे हैं। प्रधानमंत्री ने स्वयं कहा था कि आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी नहीं लगाया जाएगा। लेकिन धीरे-धीरे रोजमर्रा की वस्तुओं पर भी जीएसटी लगाई जा रही है। व्यापारियों ने कहा कि गेहूं आटा दाल चावल मुरमुरे दूध दही छांछ एवं गुड़ जैसी आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी कतई नहीं लगना चाहिए।
-उन्होंने मांग की है कि 28 29 जून की 47वी जीएसटी काउंसिल की बैठक में भारत सरकार द्वारा आवश्यक वस्तुओं पर पैकेजिंग एंव लेबलिंग के नाम पर लगाए जाने वाले जीएसटी की अनुशंसा को निरस्त किया जाए। व्यापार मंडल के जिलाध्यक्ष सत्य प्रकाश सराफ ने कहा कि अगर दैनिक वस्तुओं पर जीएसटी वापस नहीं की गई तो व्यापारी 16 जुलाई को देशव्यापी आंदोलन शुरू करेंगे। प्रदर्शन में कल्लू सिंह राजपूत, संतोष अनशनकारी, प्रेम गुप्ता, चारु चंद्र खरे महेश प्रजापति संतोष राजपूत सहित दर्जनों व्यापारी मौजूद रहे।
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