त्रिपुरा हिंसा की उस भड़काऊ संस्था का है आतंकी लिंक?

भारत विरोधी षड्यंत्रों पर देश में लगाम लगाने का कार्य लगातार किया जाता रहा है, परंतु बड़ी संख्या में इस्लामी संगठन जो पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई और आतंकी संगठनों से संबद्ध हैं या उनके विचारों को लागू करती रही हैं, वे भारत विरोध गतिविधियां संचालित कर रही हैं। जिसमें भारतवंशी विदेशी नागरिक और देश में मौजूद षड्यंत्रकारी तत्वों की बड़ी भूमिका है।

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त्रिपुरा पुलिस ने 102 लोगों पर आतंकी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के अंतर्गत कार्रवाई की है। आरोप है कि इन लोगों/संस्थाओं ने राज्य में हुई हिंसा में सोशल मीडिया के माध्यम से भड़काऊ संदेश भेजे। इस प्रकरण में जिन पर कार्रवाई हुई है, उन पर पहले भी भड़काऊ भाषण देने, सामाजिक अशांति के संदेश प्रासरित करने के आरोप लगे हैं, परंतु इसमें आतंकी संगठनों से संलिप्त संस्था के सहभाग से देश के लिए यह खतरे की घंटी से कम नहीं है।

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त्रिपुरा पुलिस की कार्रवाई के बाद इंडियन अमेरिकन मेडिकल काउंसिल (आईएएमसी) ने अपनी संस्था के बचाव में भारत सरकार और त्रिपुरा पुलिस पर हमला करना शुरू कर दिया है। इसमें उसने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को भी भारत सरकार के विरुद्ध ट्वीट किये हैं।

अमेरिका के इलिनोई में पंजीकृत यह संस्था भारत सरकार और पुलिस प्रशासन को धमकी दे रही है कि, वह शांत नहीं बैठेगी। इसके साथ ही अमेरिकी सरकार से त्रिपुरा में घटित हिंसा पर भर्त्सना की मांग कर रही है। इस संस्था का लंबे समय से एकमात्र निशाना भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बदनाम करना रहा है।

भारत विरोधी हैं कार्यकलाप
प्राप्त जानकारियों के अनुसार ‘इंडियन अमेरिकन मेडिकल काउंसिल (आईएएमसी)’ जमात से संलग्न ग्रुप है। इसके कार्यों को देखा जाए तो उसमें लंबे काल से मात्र भारत विरोधी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा और संघ के विरोध में कार्य होता रहा है, उसके सोशल मीडिया एकाउंट इसी कहानी को दर्शाते रहे हैं।

अमेरिका की यह संस्था भारत के आंतरिक मसलों में दखल तो दे ही रही है, अमेरिका में हिंदुओं के बीच कार्य करनेवाली हिंदू स्वयंसेवक संघ और वर्ल्ड हिंदू काउंसिल ऑफ अमेरिका (वीएचपीए) पर भी आरोप लगा रही है। यह वो संस्थाएं जिनका पूर्ववर्ती कोई राष्ट्रविरोधी, संप्रदाय विरोधी और नस्ल विरोध कोई कार्यकलाप अमेरिका में भी नहीं रहा है।

रहा है आतंकी संगठनों से लिंक!
डिसइन्फो लैब नामक एक पोर्टल ने जमात ए इस्लामी, लश्कर ए तोयबा और हिजबुल मुजाहिद्दीन संबद्ध संस्थाओं से संलग्न है। इसमें आईएएमसी के संस्थापक शेख उबैद का संबंध इस्लामिक सर्कल ऑफ नॉर्थ अमेरिका (आईसीएनए) से है, वह आईसीएनए का जनरल सेक्रेटरी रहा है। जबकि आईसीएनए सीधे रूप से संबद्ध हेल्पिंग हैंड फॉर रिलीफ एण्ड डेवलपमेंट जो जमात ए इस्लामी, लश्कर ए तोयबा और हिजबुल मुजाहिद्दीन के लिए कार्यक्रम, सेमिनार और धन उपलब्धता का काम करती है। आरोप यह भी है कि बर्मा टास्क फोर्स के माध्यम से शेख उबैद भारत विरोध गतिविधियों को बढ़ावा देता रहा है।

आईसीएनए का वर्ष 1990 का अध्यक्ष रहा है अब्दुल मलिक मुजाहिद जो अमेरिका द्वारा दोषी करार दिये गए आईएसआई एजेंट गुलाम नबी फई से संबद्ध रहा है। इसके अलावा आईसीएनए से ही संबद्ध रहा है अहमदुल्लाह सिद्दिकी जो स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया का संस्थापक रहा है। सिद्दिकी भी अमेरिका के इलिनोइ में प्रोफेसर था।

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