एक और एसटी कर्मी ने दी जान! ‘भाई’ ने बताया समस्या का समाधान

कोरोना की पाबंदियों के कारण एसटी की बसों में यात्रियों की कमी है और इस कारण पिछले करीब डेढ़ साल से एसटी महामंडल घाटे में चल रहा है। उसके पास दैनिक कामकाज के लिए भी पैसा नहीं है।

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महाराष्ट्र स्टेट ट्रांसपोर्ट के एक और कर्मचारी ने आत्महत्या कर ली है। 28 अगस्त को धुले विभाग के एसटी बस चालक कमलेश बेडसे ने अपनी जान दे दी। समय पर वेतन नहीं मिलने से आर्थिक तंगी से परेशान एक और एसटी कर्मी ने हाल ही में मौत को गले लगा लिया था।

महाराष्ट्र एसटी कर्मचारी कांग्रेस के अध्यक्ष विधायक भाई जगताप ने मांग की है कि इस तरह की समस्याओं के स्थायी समाधान के लिए एसटी महामंडल का राज्य सरकार में विलय करना जरुरी है।

महामंडल की तिजोरी खाली
कोरोना की पाबंदियों के कारण एसटी की बसों में यात्रियों की कमी है और इस कारण पिछले करीब डेढ़ साल से एसटी महामंडल घाटे में चल रहा है। उसके पास दैनिक कामकाज के लिए भी पैसे नहीं हैं। इस स्थिति में वह अपने कर्मचारियों को वेतन नहीं दे पा रहा है। इससे पहले राज्य सरकार ने एसटी महामंडल को आर्थिक मदद के तौर पर धनराशि प्रदान की थी, जिससे कर्मचारियों को बकाया वेतन दिया गया था, लेकिन उसके बाद से उन्हें वेतन नहीं मिल पा रहा है। जुलाई महीने से ही वेतन नहीं मिलने से 97 हजार एसटी कर्मियों के सामने जीने-मरने की नौबत आ गई है।

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भाई जगताप की मांग
इस बारे में भाई जगताप ने कहा कि इससे पहले भी एक एसटी कर्मचारी ने आत्महत्या की थी। अब यह समस्या गंभीर होती जा रही है। भविष्य में इस तरह की घटनाएं बढ़ सकती हैं। इससे पहले कोरोना के कारण 304 एसटी कर्मी अपनी जान गंवा चुके हैं। भाई जगताप ने कहा कि एसटी महामंडल के पास फिलहाल अपने कर्मचारियों को वेतन देने के लिए पैसा नहीं है और आगे भी आय बढ़ने की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है। इस स्थिति में इसे राज्य सरकार में विलय करना ही एक रास्ता है।

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