देश में जल्द ही समान आचार संहिता लागू होने की संभावना दिख रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाल ही में भोपाल में इसकी जरुरत बताते हुए कहा था कि एक ही परिवार में दो नियम नहीं हो सकते। देश में सभी के लिए समान नियम-कानून होने जरुरी है। उनके इस बयान के बाद से देश में एक बार फिर समान आचार संहिता को लेकर गुटबाजी शुरू हो गई है। इसके साथ ही अटकलें ऐसी भी लगाई जा रही है कि अपने घोषणा पत्र में शामिल भाजपा सरकार यूसीसी को जल्द ही लागू कर सकती है। उससे पहले उत्तराखंड की धामी सरकार इसे लागू करने की दिशा में तेजी से सक्रिय हो गई है।
मुख्यमंत्री धामी ने की थी घोषणा
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने चुनावी भाषणों में कहा था कि राज्य में भाजपा सरकार बनने के बाद यहां समान नागरिक संहिता लागू की जाएगी। सत्ता में आने के बाद उन्होंने इस दिशा में कदम उठाया। समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार करने के लिए धामी सरकार ने न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई (वरिष्ठ) की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया था। समिति ने उसका ड्राफ्ट तैयार कर दिया है और वह जल्द ही सरकार को सौंप देगी।
भाजपा के घोषणा पत्र में वादा
भारतीय जनता पार्टी ने 2019 के अपने चुनावी घोषणापत्र में समान नागरिक संहिता लागू करने का वादा किया था। कहा जा रहा है कि उत्तराखंड की संस्कृति, पर्यावरण और जनसांख्यिकी में बदलाव के कारण बीजेपी इस राज्य में यूसीसी लागू करने के पक्ष में है। राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि राज्य के मूल स्वरूप को संरक्षित करने के लिए ऐसा कदम उठाया जा रहा है। इसलिए इसे किसी विशेष धर्म के विरुद्ध मानना अनुचित है।
प्रधानमंत्री की बातों से मिले संकेत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एमपी में अपने कार्यकर्ताओं के संबोधन में इसकी चर्चा कर सियासी पारा बढ़ा दिया है। विपक्षी दल बीजेपी पर ध्रुवीकरण की राजनीति करने का आरोप लगा रहे हैं. वहीं, मोदी ने एक देश में दो कानून होने का मतलब समझाकर भविष्य की राजनीति की दशा और दिशा का संकेत दिया है। इसलिए उत्तराखंड में लागू होने के बाद इसे पूरे देश में भी लागू होने की उम्मीद है। कहा जा रहा है कि अगर धामी को उत्तराखंड में लागू करने में सफलता मिली तो धामी राष्ट्रीय स्तर पर बड़े नेता बनकर उभरेंगे और उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर इसका श्रेय मिलेगा।
यूसीसी पर क्यों गंभीर है धामी सरकार?
दरअसल, धामी सरकार उत्तराखंड के मौजूदा स्वरूप में बदलाव को लेकर गंभीर है। सरकार की सोच है कि राज्य की संस्कृति को संरक्षित करने के लिए यहां के लोगों के लिए एक कानून बनाया जाना चाहिए। राज्य में रहने वाले नागरिकों के लिए शादी, तलाक, उत्तराधिकार, लैंगिक समानता समेत संपत्ति के बंटवारे को लेकर कानून बनाने की मांग उठती रही है। कहा जा रहा है कि यूसीसी के बाद लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ जाएगी, वहीं बहुविवाह पर रोक के अलावा लिव-इन रिलेशनशिप के बारे में भी अभिभावकों को जानकारी दी जाएगी। बिना विवाह पंजीकरण के जोड़े को किसी भी सरकारी सुविधा का लाभ नहीं दिया जाएगा। जाहिर है कि यूसीसी लागू होने के बाद उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन जाएगा जहां सभी नागरिकों के लिए कानून एक समान होंगे।
किन देशों ने समान नागरिक संहिता लागू की है?
कई देशों में समान नागरिक संहिता लागू है। उत्तराखंड में लागू होने के बाद इसे पूरे भारत में लागू किये जाने की संभावना है। अमेरिका, आयरलैंड, बांग्लादेश, मलेशिया, तुर्की, इंडोनेशिया, सूडान, मिस्र जैसे देश हैं, जहां यूसीसी के तहत कानून सभी नागरिकों के लिए समान हैं। अलग-अलग धर्मों के लिए अलग-अलग पर्सनल लॉ के कारण देश की अदालतों में लंबित मामले बढ़ रहे हैं। सर्वोच्च न्यायालय भी समय-समय पर यूसीसी के कार्यान्वयन पर टिप्पणी करता रहा है। इसीलिए बीजेपी बाबा साहब अंबेडकर द्वारा रचित संविधान में अनुच्छेद 44 के तहत यूसीसी के जिक्र की बात जोर-शोर से कर रही है।