कोरोना की दूसरी लहर के प्रकोप से परेशान भारत में वैक्सीन की किल्लत महसूस की जा रही है। इस बीच केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इस कमी को दूर करने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिया था। लेकिन उनका ये गडकरी मंत्र दूसरे दिन ही नाकाम हो गया जब पता चला कि केेद्र सरकार ने 12 प्लांट और कंपनियों को टीका निर्माण करने की अनुमति दे दी है। इसके बाद गडकरी ने साफ किया कि, उन्हें पता नहीं था निर्णयों के विषय में।
नितिन गडकरी ने बताया कि कॉन्फ्रेन्स की समाप्ति के पश्चात केंद्रीय राज्य मंत्री मनसुख मांडविया ने उन्हें सरकार द्वारा वैक्सीन निर्माण क्षमता बढ़ाने के लिए लिये गए नए निर्णयों के प्रति सूचित किया।
ये दिया था सुझाव
नितिन गडकरी ने केंद्रीय मंत्री मनसुख मडाविया से कहा कि डिमांड बढ़ती है तो सप्लाई में परेशानी आती है। वैक्सीन कंपनी एक की बजाय 10 को लाइसेंस दे और रॉयल्टी भी ले। हर राज्य में पहले से 2-3 लैबोरेटरी मौजूद हैं। उनके पास हर तरह के संसाधन पहले से ही मौजूद हैं। फॉर्मूला देकर उनके साथ समन्वय करके वैक्सीन का उत्पादन बढ़ाएं। 15 से 20 दिनों में ये काम किया जा सकता है।
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निर्यात को लेकर दी ये सलाह
गडकरी ने वैक्सीन के निर्यात को लेकर भी समाधान सुझाया है। उन्होंने कहा कि पहले वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों को कहिए कि पहले देश को दें। ज्यादा वैक्सीन हो तो ही निर्यात करें।
दिल्ली के सीएम ने भी दिया था ऐसा ही सुझाव
बता दें कि कुछ दिन पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी ऐसा ही सुझाव दिया था। केजरीवाल ने कहा था कि देश में अगर दूसरी कंपनियों को वैक्सीन बनाने का फॉर्मूला दिया जाए तो जो कंपनियां पहले से ही इस क्षेत्र में हैं, वे कोरोना के टीके का उत्पादन कर सकती हैं। इससे जल्द ही बड़े स्तर पर टीकाकरण किया जा सकता है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कही थी ये बात
इसके साथ ही पिछले दिनों स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया था ति भारत बायोटेक अपने टीके का फॉर्मूला शेयर करने को तैयार है और अगर कोई कंपनी वैक्सीन निर्माण का प्रस्ताव देती है तो उस पर अमल किया जा सकता है।