परवरिश में संस्कार हो, तन परिश्रमी हो, मन ईमानदार हो, दिल सिर्फ अपना सुने तो इरादों को कोई डिगा नहीं सकता। ऐसे ही मजबूत जिगर वाले अश्विनी कुमार मसीह के हाथों जब कागज में लपेटा 19 हजार रुपया सड़क पर गिरा मिला तो पहले तो उन्होंने उसे झट से उठा लिया। फिर क्या था, एक ही ई-रिक्शा पर सवार, ईमानदारी और बेईमानी के दो किरदारों में बातचीत का ऐसा दौर चला कि बेईमान बार-बार ईमानदार को उसके मार्ग से भटकाना चाहा ,मगर वे ना भटका और ना डिगा।
मऊ की घटना
मऊ की सहादतपुरा निवासी अर्चना सिंह डाकखाने में एजेंसी चलाती हैं। उन्होंने लोगों के रिकरिंग एकाउंट के वसूले गये 19 हजार रुपये का स्लिप बनाकर अपने पति विजय बहादुर सिंह को दे दिया कि बैंक जाते समय डाकखाने में जमा कर दीजिएगा। विजय बहादुर सिंह बाइक से डाकखाने पहुंचे और रुपया निकालने के लिए जैसे जैकेट में हाथ डाले तो हतप्रद हो गये। देखे कि पैसा तो गायब है। वे परेशान हाल तुरंत जिधर से आए थे, उधर सड़क पर रुपया खोजते और लोगों पूछते घर तक गये लेकिन कहीं कुछ भी पता नहीं चला। उधर अर्चना सिंह भी ग्राहकों का पैसा गायब होने पर परेशान हो उठी।
वापस न करने पर देता रहा जोर
दूसरी ओर, रोडवेज से ई-रिक्शा चलाते हुए चंद रुपया कमाने निकला अश्वनी कुमार मसीह जैसे ही हिन्दी भवन के आगे पंहुचा सड़क पर गिरा 19 हजार रुपया देखा और लपक कर उठा लिया। उसके साथ ई-रिक्शा में सवार एक युवक (बेईमान) उसे पैसों को वापस न कर आपस में बांटने का सीख देता रहा लेकिन अश्विनी ने उसकी एक न सुनी।
आर्थिक रुप से परेशान फिर भी..
मूल रूप से आजमगढ़ जनपद के ग्राम कपसेठा, निहोरगंज बाजार, लालगंज का रहने वाले अश्विनी कुमार (22) मऊ के गालीबपुर मोहल्ले में किराए के मकान में रहते हैं। वे गीत संगीत की पढ़ाई करते हैं। उन्होंने बीए द्वितीय वर्ष की पढ़ाई पूरी कर ली लेकिन आर्थिक समस्या के कारण तृतीय वर्ष का फार्म न भर सके। पार्ट टाइम में वे ई-रिक्शा चलाकर कुछ कमा लेते हैं। उसके पिता दीप नारायण बजाज ऑटो में मिस्त्री हैं।
युवक देता रहा लालच
ई-रिक्शा में सवार युवक अश्विनी को तरह-तरह का प्रलोभन देता रहा कि रुपया बांट लिया जाए, चलो बलिया मोड़ चलकर सोचते हैं क्या करना है, ईमानदारी से आज के युग में क्या होता है, अश्विनी का बिरादरी पूछा तो उसने बताया कि मैं हरिजन हूं। तो युवक ने हरिजन होने की दुहाई देकर रुपये को बांटने को कहा फिर भी अश्विनी टस से मस न हुए। अश्विनी ने कहा कि जिसका है, उसे खोज कर दूंगा, लेकिन बेईमान नहीं बनूंगा। उधर युवक पीछा छोड़ने का नाम नहीं ले रहा था।
ऐसा हुई पहचान
फिर अश्वनी रुपयों में लिपटे पर्ची को देखा तो उस पर डाकखाने की मुहर लगी थी और एजेंसी कोड में अर्चना सिंह का नाम लिखा था। वे सीधा डाकखाने गए और वहां एक डाककर्मी को पूरी बात बताई। डाकखाने के कर्मी ने कहा कि ठीक है पैसा दे दो, हम उनको दे देंगे, लेकिन अश्विनी ने उनकी एक न सुनी और उन्होंने डाक खाने से अर्चना सिंह के कोड को खुलवाकर उनका मोबाइल नंबर लिया। मोबाइल पर फोन कर जैसे ही उनसे पूछा आपका रुपया गिरा है तो अर्चना सिंह ने कहा हां। उन्होंने कहा- घबराइए नहीं, पैसा मेरे पास सुरक्षित है, बताइए कहां मिलेंगी। उन्होंने युवक को सहादतपुरा स्थित दुर्गा मंदिर आने को कहा, वहां से ई-रिक्शा लेकर वे सहादतपुरा चल गए। बेईमानी का पाठ पढ़ाने वाला युवक उसका पीछा अब भी नहीं छोड़ रहा था, उसके साथ चलता रहा। अश्विनी दुर्गा मंदिर जाकर मंदिर के पुजारी रमेश चंद्र पाण्डेय की मौजूदगी में पैसे की डिटेल अर्चना सिंह से पूछा और उनके पति से फोन पर बात की, जब दोनों उत्तर सही मिला तो उन्होंने उन्हें रुपया सौंप दिया।
अर्चना सिंह ने इनाम में दिए 500 रुपए
ग्राहकों का गिरा धन वापस पाकर अर्चना सिंह का खुशी का ठिकाना ना रहा। वे खुशी-खुशी अश्विनी को 500 रुपये इनाम दे रही थीं लेकिन वे नहीं ले रहा थे। फिर अर्चना ने कहा कि बेटा रख लो, यह खुशी के हैं। बहुत कोशिश करने के बाद उसने 500 रुपया लिया। फिर ई रिक्शा लेकर अपने काम पर लिए चल दिया। उधर उसके रिक्शे में सवार बेईमान युवक 500 मिले बख्शीश में से आधा-आधा बांटने की बात करने लगा। उन्होंंने देने से मना किया तो वह जिद पर अड़ गया। साथ बीयर पीने को कहने लगा। अश्विनी ने कहा- हम बीयर नहीं पीते हैं और ना ही उसके नाम पर दूंगा तो लालची युवक ने कहा- कुछ तो दे दो, कुछ खा लूंगा। तब अश्विनी ने उसे 120 रुपये देकर पीछा छुड़ाया।