पश्चिम बंगाल के शिक्षक भर्ती घोटाले के तार जहां एक के बाद एक ममता बनर्जी के करीबियों से जुड़ते जा रहे हैं, वहीं अब प्रदेश के डिग्री कॉलेजों में भी अनियमितता सामने आने लगी है। पश्चिम बंगाल के कूचबिहार और दिल्ली से सटे फरीदाबाद में दो अलग-अलग लॉ कॉलेजों के एक ही प्रिंसिपल के दस्तखत से चलने का मामला सामने आया है। जिसका बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआइ) ने संज्ञान लिया है।
इस तरह हुआ खुलासा
-पंचानन बर्मा विश्वविद्यालय से संबद्ध उत्तरायण कॉलेज आफ लॉ के नोटिस बोर्ड में प्रिंसिपल के दस्तखत से जारी जो नोटिसें नजर आती हैं, वही प्रिंसिपल के दस्तखत वहां से डेढ़ हजार किमी दूर फरीदाबाद के इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ रिसर्च कॉलेज में भी नजर आते हैं। इतना ही नहीं, उत्तरायण कॉलेज ने अपनी वेबसाइट में भी प्रिंसिपल, टीचर इंचार्ज या अन्य स्टॉफ के नाम-पद किसी जानकारी का जिक्र नहीं कर रखा है। जिससे कॉलेज की कार्यशैली सवालों के घेरे में है। इस बारे में कॉलेज के चेयरमैन मलय कर्माकर ने कहा ‘हमारे यहां प्रिंसिपल रिजाइन कर चुके हैं।
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-प्रिंसिपल थे कौन? इस पर चेयरमैन कहते हैं ‘मुझे इस बारे में जानकारी नहीं।’ जबकि इसी 27 जुलाई को फिर कॉलेज के नोटिस बोर्ड पर प्रिंसिपल के दस्तखत से जारी स्टूडेंट नोटिस चस्पा हुई है। दूसरी तरफ 11 जुलाई को फरीदाबाद के एक कॉलेज में भी स्टूडेंट नोटिस प्रिंसिपल के ऐसे ही दस्तखत से जारी हुई। इस कॉलेज की वेबसाइट पर प्रिंसिपल के तौर पर प्रो. डॉ. जीसी रॉय का नाम दर्ज है। इस बारे में प्रिंसिपल ने कहा ‘मैं सिर्फ यहां का प्रिंसिपल हूं, कूचबिहार के कॉलेज में मैं कभी नहीं रहा। कूचबिहार के कॉलेज में ऐसी अनियमितता सामने आने पर बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने सख्त रुख अपनाया है।
-संयुक्त सचिव अशोक कुमार पांडेय ने कहा कि ‘नियमों के मुताबिक एक प्रिंसिपल दो जगह बिल्कुल नहीं रह सकता। दोनों कॉलेजों को नोटिस भेजकर मामले की जांच कराई जाएगी।’
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