Uttarakhand में खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग की अत्याधुनिक लैब को एक और बड़ी सफलता मिली है। राष्ट्रीय परीक्षण और अंशशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड (एनएबीएल) से देहरादून स्थित इस लैब को औषधि परीक्षण प्रमाणपत्र मिल गया है। इस सर्टिफिकेट के मिलने से लैब की जांच की रिपोर्ट अब विश्व स्तर पर मान्य होगी।
खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग के आयुक्त डॉ. आर. राजेश कुमार ने 26 नवंबर को बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और राज्य स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के दिशा-निर्देशों पर इस लैब का निर्माण किया गया था। यह लैब अब तक तीन हजार से अधिक नमूनों की जांच कर चुकी है और इसमें ऑनलाइन प्रमाणीकरण की सुविधा भी उपलब्ध है।
केंद्र सरकार का सहयोग
केंद्र सरकार के सहयोग से करीब सात करोड़ रुपये की लागत से इस लैब का निर्माण हुआ है। मिलावट खोरों के खिलाफ अभियान को मिलेगी गति अपर आयुक्त ताजबर सिंह जग्गी ने बताया कि लैब की टेस्टिंग क्षमता 2,000 से अधिक सैंपल्स की है। लैब में ड्रग्स, कास्मेटिक्स, और मेडिकल डिवाइस की टेस्टिंग की सुविधा उपलब्ध है। एनएबीएल प्रमाणपत्र मिलने के बाद, अब देहरादून की लैब की रिपोर्ट वैश्विक स्तर पर मान्य होगी, जिससे मिलावट खोरों और नकली उत्पादों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान को और अधिक ताकत मिलेगी। इस लैब में पांच विभिन्न प्रयोगशालाएं हैं, जिनमें रसायन परीक्षण लैब, मानइर, मेजर, कास्मेटिक और माइक्रोबायोलॉजी लैब शामिल हैं। अत्याधुनिक मशीनों से की जाती है जांच इस लैब में एचपीएलसी, यूवी/विजुअल फोटो, एफटीआईआर, जीसीएचएस जैसी अत्याधुनिक मशीनों से जांच होती है, जिनकी सटीकता अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है। इस लैब के खुलने से अब राज्य में दवाओं और सौंदर्य उत्पादों की जांच में समय की बचत होगी, साथ ही गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सकेगी।
18 नए ड्रग इंस्पेक्टर भी मिले
प्रदेश को मिले 18 नए ड्रग इंस्पेक्टर खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग को 18 नए ड्रग इंस्पेक्टर भी मिले हैं, जो विभाग में कर्मचारियों की कमी को पूरा करेंगे। यह कदम नकली दवाओं और मिलावटी उत्पादों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान को और प्रभावी बनाएगा। आयुक्त डॉ. आर. राजेश कुमार ने कहा कि नए ड्रग इंस्पेक्टरों के आने से विभाग की कार्यकुशलता में और तेजी आएगी।
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