Veer Savarkar: उत्तराखंड के स्कूली शिक्षा मंत्री धनसिंह रावत ने घोषणा की है कि स्वातंत्र्यवीर सावरकर के जीवन और कार्यों पर आधारित एक पाठ उत्तराखंड के स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। उन्होंने यह घोषणा स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के दौरान की। सोमवार, 24 फरवरी को स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के कार्यवाहक राजेंद्र वराडकर और सहकार्यवाहक व ‘हिंदुस्थान पोस्ट’ के संपादक स्वप्निल सावरकर के साथ प्रतिनिधिमंडल ने मंत्री धनसिंह रावत से मुलाकात की।
मुंबई की तरह उत्तराखंड में भी हो सावरकर स्मारक का निर्माण
रावत ने यह भी इच्छा व्यक्त की कि महाराष्ट्र के मुम्बई में स्थित स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक जैसा कार्य उत्तराखंड में भी किया जाना चाहिए। उन्होंने सावरकर स्मारक के सहयोग से उत्तराखंड में कुछ परियोजनाओं के कार्यान्वयन के प्रति भी सकारात्मकता दिखाई है। स्वतंत्रता संग्राम में सशस्त्र क्रांतिकारियों के प्रेरणास्रोत रहे स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर का इतिहास उत्तराखंड सरकार के पाठ्यक्रम में शामिल करने और स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक जैसा कार्य करने की घोषणा का सावरकर प्रेमियों द्वारा स्वागत किया जा रहा है।
वीर सावरकर के विचार आज भी प्रासंगिक
उत्तराखंड सरकार की यह भूमिका सराहनीय है। वीर सावरकर सिर्फ एक क्रांतिकारी, देशभक्त, समाज सुधारक, वक्ता या लेखक ही नहीं थे, वे राजनीतिक परिस्थितियों के महान अभ्यासक और युगद्रष्टा भी थे। कल क्या होगा, इस बारे में उनकी भविष्यवाणियां हमेशा सटीक रही हैं, आज भी उनके विचार प्रासंगिक साबित हो रहे हैं। उन्होंने देश को बताया था कि भविष्य में क्या होगा। लेकिन हमने इसे नजरअंदाज कर दिया। इसलिए हमें विभाजन सहित कई संकटों का सामना करना पड़ा। वह विदेश नीति के विशेषज्ञ भी थे।
वीर सावरकर ने कहा था कि दो देशों के बीच संबंध उनके आपसी हितों पर आधारित होने चाहिए न कि दूसरे देश की राजनीतिक विचारधारा पर। इस पर भी 65 वर्षों में ध्यान नहीं दिया गया। हालांकि, पिछले 10 वर्षों से भारत की विदेश नीति वीर सावरकर की विचारधारा से निर्देशित रही है और हम इसके परिणाम देख रहे हैं। इसलिए, यह अच्छी बात है कि विद्यार्थियों को वीर सावरकर के बारे में जानने का अवसर मिलेगा।
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