Vaishvik Hindu Rashtra Mahotsav: भारत के स्वतंत्रता संग्राम (freedom struggle of india) में अधिवक्ताओं का योगदान अतुलनीय है। उस दौरान लोकमान्य टिळक, सरदार वल्लभ भाई पटेल, स्वतंत्रतावीर सावरकर, लाला लाजपत राय, देशबंधु चितरंजन दास जैसे कई अधिवक्ताओं ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम के लिए प्रयास किए। इसी प्रकार यदि हिन्दू अधिवक्ताओं का संगठन सक्रिय हो जाए, तो भविष्य में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना अवश्य होगी।
आज विरोधक अदालतों के माध्यम से एक वैचारिक युद्ध कर रहे हैं, इसलिए हिन्दू पक्ष को कानूनी रूप से सशक्त बनाने के लिए वैचारिक योद्धाओं की आवश्यकता है। हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळे ने अपील की कि हिन्दू अधिवक्ताओं को धार्मिक स्थापना के इस कार्य में योगदान देने के लिए एक ‘इकोसिस्टम’ का निर्माण करने की आवश्यकता है। वे ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ के छठे दिन ‘हिन्दू राष्ट्र के लिए अधिवक्ताओं का योगदान’ विषय पर बोल रहे थे।
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भारत के लिए क्रिकेट खेल; पाकिस्तान के लिए ‘जिहाद’ – अधिवक्ता विनीत जिंदाल
‘क्रिकेट जिहाद’ पर बोलते हुए सुप्रीम कोर्ट के वकील विनीत जिंदाल ने कहा, ‘‘भारत में क्रिकेट खेल भावना से खेला जाता है; लेकिन भारत और पाकिस्तान का मैच पाकिस्तान के लिए युद्ध की तरह है। पाकिस्तान क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा था कि ‘भारत के खिलाफ क्रिकेट खेलना जिहाद है।’ हाल ही में एक पाकिस्तानी बल्लेबाज ने अपना शतक ‘फिलिस्तीन’ को समर्पित किया। हिंदुओं को भी इस जिहाद से सतर्क रहना होगा। वर्तमान कानून पारिवारिक व्यवस्था को नष्ट कर रहे हैं; अत: हिन्दुओं को पारिवारिक समस्याओं
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का समाधान मध्यस्थता द्वारा करना चाहिए- प्रो. मधु पूर्णिमा किश्वर, लेखिका
भारत में हिन्दू समाज, परिवार व्यवस्था को तोड़ने के लिए ब्रिटिश काल के दौरान और आजादी के बाद भी कई कानून लागू किए गए । भारत में नारी को देवी का दर्जा प्राप्त है; हालांकि, भारत पर इस्लामी आक्रमण के बाद, हिन्दू महिलाओं को हमलावरों से बचाने के लिए हिन्दुओं में बाल विवाह और पर्दा प्रथा बनाई गई । ईसाई मिशनरियों और तथाकथित समाज सुधारकों ने इन प्रथाओं को हानिकारक घोषित किया और उनके खिलाफ कानून बनाए । बलात्कार, घरेलू हिंसा से संबंधित झूठे मामलों के कारण कई परिवार बर्बाद हो रहे हैं और कई पुरुष आत्महत्या कर रहे हैं । समाज सेवा की आड में एनजीओ इन व्यवस्थाओं को तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं । परिवार व्यवस्था को बचाने के लिए अपनी समस्याओं का समाधान पारिवारिक स्तर पर ही समझ-बूझ के साथ किया जाए, तो परिवार और समाज एकजुट रहेगा, ऐसा प्रतिपादन दिल्ली की मशहूर लेखिका प्रो. मधु पूर्णिमा किश्वर द्वारा किया गया ।
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