Vaishvik Hindu Rashtra Mahotsav: जिस प्रकार मुसलमानों की धार्मिक संपत्तियों, भूमि की सुरक्षा के लिए तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने वक्फ बोर्ड की स्थापना कर उसे विशेष कानूनी अधिकार दिए हैं, उसी प्रकार देशभर के हिंदुओं के लाखों मंदिरों, उनकी भूमि और संपत्तियों की सुरक्षा के लिए वक्फ बोर्ड की तर्ज पर मंदिरों के लिए सर्वाधिकार वाला ‘हिंदू मंदिर बोर्ड’ स्थापित किया जाए।
इसके अलावा केवल हिंदुओं के मंदिरों का अधिग्रहण करने वाला वर्ष 1951 का ‘रिलिजीयस एंडोमेंट ॲक्ट’ रद्द किया जाए और सरकारीकरण किए गए देशभर के सभी हिंदू मंदिरों को तत्काल सरकारी नियंत्रण से मुक्त कर भक्तों के नियंत्रण में दिया जाए । यह मांग ‘काशी के ज्ञानवापी, मथुरा के श्रीकृष्णभूमि’ आदि प्रमुख हिंदू मंदिरों के मुकदमे लड़ने वाले ‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ के प्रवक्ता तथा सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने ‘मंदिर संस्कृति परिषद’ की प्रेस कॉन्फ्रेंस में की।
यह भी पढ़ें- Airtel Recharge: भारती एयरटेल ने टैरिफ में 10-21% की बढ़ोतरी, नई दरें 3 जुलाई से होंगी लागू
महाराष्ट्र मंदिर महासंघ
वे फोंडा, गोवा में ‘वैश्विक हिंदू राष्ट्र अधिवेशन’ के अवसर पर श्री विद्याधिराज सभागार में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोल रहे थे। इस अवसर पर मंदिरों के आर्थिक प्रबंधन के विशेषज्ञ तथा मुंबई के ‘समस्त महाजन संघ’ के अध्यक्ष श्री गिरीश शाह, ‘महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’ के राज्य समन्वयक श्री सुनील घनवट, ‘गोमंतक मंदिर महासंघ’ के राज्य सचिव श्री जयेश थळी और उत्तर प्रदेश के पवन चिंतन धारा आश्रम के पूजनीय पवन सिन्हा गुरुजी उपस्थित थे।
यह भी पढ़ें- Parliament Session: लोकसभा में विपक्ष का हंगामा, कार्यवाही सोमवार तक स्थगित
710 मंदिरों में वस्त्र संहिता लागू
इस अवसर पर ‘महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’ के श्री. सुनील घनवट ने कहा कि इस हिंदू अधिवेशन के माध्यम से ‘मंदिर संस्कृति रक्षा अभियान’ की शुरुआत हुई थी। इसमें अब देशभर के लगभग 14,000 मंदिरों का संगठन हुआ है। इस अधिवेशन में देशभर के 275 से अधिक मंदिरों के ट्रस्टी, पुजारी शामिल हुए हैं। इसके साथ ही देशभर में 710 मंदिरों में वस्त्र संहिता लागू की गई है। इस अभियान को और व्यापक बनाते हुए मंदिरों में वस्त्र संहिता के साथ हम देशभर में ‘मंदिर मांस-मुक्त’ अभियान चलाएंगे। महाराष्ट्र के श्री शनिशिंगणापूर मंदिर की 19 एकड़, बीड के श्री कंकालेश्वर मंदिर की 12.5 एकड़, तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली गांव के 1500 वर्ष पुराने श्रीचंद्रशेखर स्वामी मंदिर सहित लगभग 1200 एकड़ भूमि पर वक्फ बोर्ड ने दावा किया है। इस प्रकार कई जगह मंदिर की भूमि वक्फ ने कब्जा करने का प्रयास किया है। जिन मंदिरों की भूमि वक्फ बोर्ड ने कब्जाई है, वह भूमि फिर से उन मंदिरों को तत्काल हस्तांतरित करने का आदेश सरकार ने देना चाहिए।
यह भी पढ़ें- Monsoon Session: एक मोदी सब पर भारी! विधान भवन के बाहर लगे सत्ताधारी पार्टी के बैनर
वक्फ बोर्ड के अंतर्गत आने वाली भूमि
इसके अलावा, महाराष्ट्र में जिस प्रकार ‘वक्फ बोर्ड’ के अंतर्गत आने वाली भूमि के लिए पुराना किराया समझौता रद्द कर नया ‘मॉडल रेंट’ लागू किया गया है, जिससे आज वक्फ को किराए के तौर पर हर महीने लाखों रुपये की आय हो रही है। उसी प्रकार देशभर में जिन मंदिरों की भूमि का उपयोग सरकारी और निजी कार्यों के लिए हो रहा है, वहां भी ‘मॉडल रेंट’ तत्काल लागू किया जाए। इसके साथ ही पुरातत्व विभाग के अंतर्गत आने वाले घारापुरी (मुंबई) के शिव मंदिर और संभाजीनगर के देवगिरी किले के श्री भारत माता मंदिर में पूजा-अर्चना बंद की गई है। वहां हिंदुओं के देवता होने के कारण वहां हिंदुओं को पूजा-अर्चना करने की अनुमति दी जाए। इन मांगों को न मानने पर हम सड़क पर उतरकर आंदोलन करेंगे, ऐसा सरकार को चेतावनी दे रहे हैं।
यह भी पढ़ें- Bihar Politics: सीएम नीतीश कुमार दिल्ली रवाना, भाजपा से करेंगे बिहार की राजनीति पर चर्चा
गोमंतक मंदिर महासंघ
‘गोमंतक मंदिर महासंघ’ के राज्य सचिव श्री जयेश थळी ने कहा कि सरकार ने भले ही स्पष्टीकरण दिया हो, लेकिन सरकार के आदेश में धार्मिक स्थलों और स्कूलों के 100 मीटर के दायरे में नए शराब की दुकानों को अनुमति देने का निर्णय स्पष्ट रूप से दिया गया है। इसलिए इसका गोमंतक मंदिर महासंघ विरोध करता है। सरकार ने कहा है कि पर्यटन की दृष्टि से अपवाद स्वरूप यह निर्णय लिया गया है, लेकिन इससे धार्मिक पर्यटकों की भावनाएं आहत हो रही हैं। कल अगर हम 200 प्रतिशत सुधारित शुल्क भरकर जामा मस्जिद या ओल्ड गोवा चर्च के पास शराब की दुकान खोलने की मांग करें, तो क्या सरकार पर्यटन की दृष्टि से विचार करके अनुमति देगी? इसका उत्तर सरकार को देना चाहिए। पंजाब को आज नशे के कारण ‘उड़ता पंजाब’ कहा जाता है, क्या गोवा को ‘उड़ता गोवा’ बनाना है? इसलिए हमारी मांग है कि सरकार इस कानून को रद्द करे।
मंदिर के आर्थिक सुव्यवस्थापन
इस अवसर पर ‘मंदिर के आर्थिक सुव्यवस्थापन’ के बारे में बोलते हुए विशेषज्ञ श्री गिरीश शाह ने कहा कि मंदिरों की कुल आर्थिक आय का केवल 10 प्रतिशत निधि पूजा-अर्चना और प्रबंधन के लिए रखी जाए, जबकि शेष निधि का उपयोग मंदिर के जीर्णोद्धार, सुविधाएं, छोटे मंदिरों को आर्थिक सहायता और समाज की दृष्टि से किया जाना चाहिए। इसके साथ ही मंदिर का आर्थिक सुप्रबंधन, सुव्यवस्था और संरक्षण की दृष्टि से विभिन्न मंदिरों को मार्गदर्शन किया जाएगा।
सरकार सभी मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करे
उत्तर प्रदेश के पवन चिंतन धारा आश्रम के पूजनीय पवन सिन्हा गुरुजी ने कहा कि देश की सरकार सेक्युलर होते हुए केवल हिंदू मंदिरों का अधिग्रहण करना उचित नहीं है। इसलिए हमारी मांग है कि सरकार सभी मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करे। इसके लिए हमने मंदिर संस्कृति परिषद का आयोजन किया है।
यह वीडियो भी देखें-
Join Our WhatsApp Community