अंग्रेजी दवाओं के मूल्यों में भारी वृद्धि के विरोध और जेनेरिक दवाओं के इस्तेमाल बढ़ाने के लिए 2 जून को सामाजिक कार्यकर्ताओं ने जन जागरूकता अभियान चलाया। सामाजिक संस्था सुबह-ए- बनारस क्लब के बैनर तले कबीरचौरा स्थित मंडलीय शिवप्रसाद गुप्त अस्पताल के बाहर जुटे कार्यकर्ताओं ने कहा कि नेशनल फार्मा प्राइसिंग अथॉरिटी की ओर से 1, अप्रैल 2022 से अंग्रेजी दवाओं के मूल्यों में 11 फीसद की वृद्धि से महंगाई का मार झेल रहे गरीब मरीजों के लिए अच्छी खासी मुश्किलें खड़ी हो गई है।
के मुकेश जायसवाल ने कहा कि जब कोई दवा बनती है, तो कई नामी-गिरामी कंपनियां उसको पेटेंट करा लेती है। जिसकी वजह से वह दवा काफी महंगे मूल्य में बाजार में उपलब्ध हो पाती है। वहीं, दवा जब पेटेंट के दायरे से बाहर आती है, और उसी दवा को अन्य कंपनियां जब बनाती है, तो वह दवा सस्ते मूल्य मे जेनेरिक दवा के रूप में बाजार में उपलब्ध हो जाती है। बाजार में वरदान के रूप में आए प्रधानमंत्री जन औषधि परियोजना के तहत जेनेरिक दवाओं ने काफी हद तक गरीब-मजलूम आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों और उनके परिजनों को राहत देने का कार्य किया है।
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अन्य कार्यकर्ताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री जन औषधि परियोजना कमजोर आय वाले मरीजों के लिए वरदान है। अंग्रेजी दवाओं के मुकाबले काफी सस्ते दर पर देशभर के 739 जिलो मे 8610 जन औषधि केंन्द्रो पर 1616 उत्पादों के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही है। गुणवत्ता के मामले में यह अंग्रेजी दवाओं के मुकाबले कहीं से भी कमजोर नहीं है।
इन्हीं जेनेरिक दवाओं का इस्तेमाल बिना किसी संदेह के करने की जरूरत हैं । वक्ताओं ने कहा कि शुगर का दवा अंग्रेजी के दवा में अगर 180 रुपया प्रति (10 गोली) का पत्ता है। तो वही दवा जेनेरिक दवा में 26 रुपया प्रति पत्ता एंव प्रोस्टेड के रोग में इस्तेमाल होने वाला अंग्रेजी दवा अगर 500 रुपया प्रति पत्ता के ऊपर मिलता है। तो वही दवा जेनेरिक दवा के रूप में 24 रुपया प्रति पत्ता मे उपलब्ध हो जाता है। जागरूकता अभियान में प्रदीप गुप्त, सचिव सुमित सर्राफ, अश्वनी जायसवाल ,पारसनाथ केसरी, पंकज पाठक, विजय जायसवाल, सुनील अहमद खान, रवि श्रीवास्तव, पप्पू रस्तोगी, चंद्रशेखर प्रसाद आदि शामिल रहे।
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