Veer Savarkar: दिल्ली के दर्शकों को पसंद आई स्वातंत्र्य वीर सावरकर फिल्म

दिल्ली मराठी प्रतिष्ठान द्वारा मराठी फिल्म स्वातंत्र्य वीर सावरकर का एक विशेष शो आयोजित किया गया था। महादेव रोड पर फिल्म्स डिवीजन ऑडिटोरियम में आयोजित इस शो को दिल्ली के मराठी दर्शकों से उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिली।

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Veer Savarkar: दिल्ली मराठी प्रतिष्ठान द्वारा मराठी फिल्म स्वातंत्र्य वीर सावरकर का एक विशेष शो आयोजित किया गया था। महादेव रोड पर फिल्म्स डिवीजन ऑडिटोरियम में आयोजित इस शो को दिल्ली के मराठी दर्शकों से उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिली। इसके अलावा दिल्ली के अलग-अलग सिनेमाघरों में प्रदर्शित हो रही हिंदी फिल्म स्वातंत्र्य वीर सावरकर को भी दर्शकों का अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है। खासकर बच्चों के साथ फिल्म देखने वालों की संख्या काफी अधिक है।

अगर आपका जन्म किसी मराठी परिवार में हुआ है, तो आपको बचपन से ही सावरकर के विचार और उनके संस्कार सिखाए जाते हैं। महाराष्ट्र में ऐसे कई घर हैं, जिनमें आज भी सावरकर की किताबें रहती हैं। वे सावरर को आसानी से कैसे समझ सकते हैं? बहुत से लोगों के मन में ये सवाल होता है। दर्शकों में से एक सोनाली पाठक ने कहा कि फिल्म ‘स्वातंत्र्य वीर सावरकर’ एक अच्छा विकल्प है।

महत्वपूर्ण घटनाएं
सशस्त्र क्रांति, गांधी बनाम सावरकर वैचारिक युद्ध, अंडमान के काले पानी में क्रांतिकारियों को झेलनी पड़ी कठिनाइयों का गहन अध्ययन के साथ ही वीर सावरकर के त्याग और समर्पण को फिल्म में बखूबी दर्शाया गया है।

सावरकर के जीवन की इन सभी महत्वपूर्ण घटनाओं को तीन घंटे में समेटना बहुत मुश्किल काम था। निर्देशक के तौर पर रणदीप हुड्डा ने ऐसा करने की पूरी कोशिश की है। पूरी फिल्म दर्शकों को पूरे समय बांधे रखती है। मौके-मौके पर वह दर्शकों में रोमांच लेकर आते हैं।

सबसे खास बात यह है कि निर्देशक रणदीप हुड्डा ने सावरकर के किरदार को जीया है। उन्होंने हर सीन में खुद को झोंक दिया है। पूरी फिल्म में हमें सावरकर ही नजर आते हैं। रणदीप हुड्डा कहीं नजर नहीं आते हैं। दर्शक ये भी बोल रहे थे कि अंकिता लोखंडे की परफॉर्मेंस भी शानदार है।

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स्वातंत्र्य वीर सावरकर भारतीय इतिहास के ऐसे अग्रणी व्यक्ति थे, जो आजादी के लिए देश की वर्तमान धारा में नहीं बहे, बल्कि धारा को एक नई दिशा देने का काम किया। स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी भूमिका लाखों लोगों के लिए प्रेरणास्रोत थी। ये एकमात्र ऐसे योद्धा हैं, जिनके बारे में कई कहानियां रची गई हैं। इस फिल्म में वीर सावरकर के जीवन को लेकर व्यापक शोध प्रस्तुत किया गया है।

गहन शोध के बाद प्रस्तुत की गई इस फिल्म की कहानी असली सावरकर का परिचय कराती है। देश के महान सपूतों में से एक के जीवन पर आधारित फिल्म देखने के लिए दिल्लीवासी बेहद उत्सुक थे। दिल्लीवासी बच्चों को अपने साथ लेकर  फिल्म देखने पहुंचे थे।दिल्ली मराठी प्रतिष्ठान के वैभव डांगे, अभिजित गोडबोले, अभिजित पाठक, प्रवीर चित्रे के साथ ही अनेक पदाधिकारी उपस्थित होते।

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