Veer Savarkar: स्वातंत्र्यवीर सावरकर के गीत ‘हमारा प्रियकर हिंदुस्थान’ में है देशभक्ति की पराकाष्ठा

क्रांतिवीर सावकर ने "हमारा प्रियकर हिंदुस्थान" गीत 1908 में लंदन में लिखा था। गीत मूल रूप से मराठी में लिखा गया है। उन दिनों देश के सपूतों के दिलों में में स्वतंत्रता के लिए ज्वाला दहक रही थी। वे देश की स्वतंत्रता के लिए कुछ भी करने को तैयार थे। वीर सावरकर के इस गीत ने उनमें देशप्रेम का बारूद भरने का काम किया।

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Veer Savarkar:भारत माता की स्वतंत्रता और अखंड भारत के सपने को पूरा करने के लिए अपने ही नहीं, बल्कि अपने पूरे परिवार के जीवन को क्रांति की ज्वाला में झोंक देने वाले क्रांतिवीर विनायक दामोदर सावरकर के जीवन का हर पल त्याग, समर्पण और प्रेरणा का अजस्र स्रोत है। ऐसा स्रोत, जो देश के राष्ट्रपुरुषों के साथ ही सामान्य नागरिकों को भी अंनत काल तक प्रेरित करता रहेगा। ऐसे क्रांतिवीर और महापुरुष के नाम भर लेने से तन,मन में देशभक्ति की ज्वाला दहक उठती है।

भारत माता के इस सपूत के हमें इतने रूप देखने को मिलते हैं कि हम विस्मित रह जाते हैं। हम सोचने लगते हैं कि भला एक व्यक्ति में इतनी सारी विशेषता कैसे हो सकती है? महान राजनीतिज्ञ, क्रांतिकारी, लेखक-कवि, पत्रकार और देश के इतिहास का अद्भुत ज्ञान। वीर सावकर का व्यक्तित्व सभी देशप्रेमियों के मन मस्तिष्क को देशभक्ति के जोश और जुनून से भर देता है।

Veer Savarkar: स्वातंत्र्यवीर सावरकर के गीत ‘हमारा प्रियकर हिंदुस्थान’ में युवाओं की पसंद का विशेष ध्यान, इंडी फ्यूजन म्यूजिक से बही राष्ट्रप्रेम की गंगा

“हमारा प्रियकर हिंदुस्थान!”
स्वातंत्र्यवीर सावरक की हर एक रचना देश, काल और स्वतंत्रता प्राप्ति से पहले की परिस्थिति और भारत माता की आजादी के लिए मर मिटने का मादा रखने वाले वीर बहादुरों के त्याग और समर्पण के दर्शन कराती है।
फिलहाल हम यहां उनके एक गीत की बात कर रहे हैं। वह गीत है “हमारा प्रियकर हिंदुस्थान!”
धरती का अभिमान ।
हमारा प्रियकर हिंदुस्थान
यही हमारा प्राण ।
हमारा सुंदर हिंदुस्थान ।

बहुत हैं देखे, बहुत सुने हैं
देश-प्रदेश महान
आंग्ल अमरिका मिसर जर्मनी
चीन तथा जापान ।१।

गिरि बहुत, पर सब में तेरे
हिमगिरी का है मान
कौन नदी दे श्रीगंगासम पूत-सुधाजल-पान ।२।

कस्तूरी-मृग-परिमल-पूरित
तेरा वन-उद्यान
प्रातःकाले कोकिल-किलकिल कूजित आम्रोद्यान। ३।

यज्ञ धूम से गंधित जिसका
मधुर सामरव गान
जहाँ देवता करने आते
सोम – सुधा रस पान। ४ ।

जिजा जन्म दे जहा शिवाजी,
गुरुपुत्र करे बलिदान
पुण्यभूमि तूं! पितृभूमि तूं! तूं सबका अभिमान। ५।

करे आमरण मातृभूमी के
कारण हम संग्राम
शत्रुरुधिर अभिषेक करेंगे रखने तेरा मान।

देशभक्ति की पराकाष्ठा
इस गीत का एक-एक शब्द हमारे मन मस्तिष्क में उतरकर देशभक्ति से सराबोर कर देता है। गीत के बोल और गायकी दोनों ही बेजोड़ हैं। दरअस्ल गीत का मुखड़ा “हमारा प्रियकर हिंदुस्थान” ही हमें देशभक्ति के जोश से भर देता है। इसका भाव है कि हमारा हिंदुस्थान हमें इतना प्रिय है कि इसकी रक्षा के लिए हम सहर्ष सर्वस्व न्यौछावर करने को तैयार हैं।

इकबाल के गीत से भी अधिक प्रभावशाली
इकबाल ने भारत को एक बगीचा माना है और देश के लोगों को बुलबुल कहा है। इसका अर्थ स्पष्ट है, जिस तरह बगीचा सूखने के बाद बुलबुल दूसरे बगीचे में चले जाते हैं, उसी तरह वे भी देशपर संकट आने पर दूसरे देश में चले जाएंगे। परंतु वीर सावरकर मात्र देशरक्षा के लिए शत्रु से मरते दम तक लड़ने की बात करते हैं।

देश के लिए समर्पण की भावना
इस देश की रक्षा के लिए ही वीरमाता जिजा बाई ने शिवाजी महाराज को जन्म दिया और देश की रक्षा करने के लिए ही गुरु श्री. गोविंदसिंहजी के चारो पुत्रों ने बलिदान दिया था!

देशभक्ति के जोश का समंदर
वीर सावकर के गीत में देशभक्ति के जोश का समंदर है। वह हर स्थिति में भारत माता की रक्षा के संकल्प के दर्शन कराता है। गीत की इन पंक्तियों में वीर सावकर के राष्ट्रप्रेम की पराकाष्ठा के दर्शन होते हैं।

करे आमरण मातृभूमी के
कारण हम संग्राम
शत्रुरुधिर अभिषेक करेंगे रखने तेरा मान।

1908 में लिखा गया था गीत
क्रांतिवीर सावकर ने “हमारा प्रियकर हिंदुस्थान” गीत 1908 में लंदन में लिखा था। गीत मूल रूप से मराठी में लिखा गया है। उन दिनों देश के सपूतों के दिलों में में स्वतंत्रता के लिए ज्वाला दहक रही थी। वे देश की स्वतंत्रता के लिए कुछ भी करने को तैयार थे। वीर सावरकर के इस गीत ने उनमें देशप्रेम का बारूद भरने का काम किया।

गीत को जन-जन तक पहुंचाना उद्देश्य
वीर सावरकर के पौत्र और स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के कार्याध्यक्ष रणजीत सावकर का प्रयास है कि यह गीत देश के जन-जन तक पहुंचे। इसी उद्देश्य से मराठी में लिखे इस मूल गीत को उन्होंने हिंदी में अनुवाद किया है। इसके साथ ही इसे संगीतबद्ध किया गया है। हिंदुस्थान पोस्ट ने इस गीत के गायक और संगीतकार प्रांजल अक्कलकोटर से बात कर उनकी भावनाओं को जानने का प्रयास किया।

“वीर सावरक मेरे भगवान..!”-प्रांजल अक्कलकोटर
“यह गीत लंदन में 1908 में मराठी में लिखा गया था। मेरे लिए इस गीत को संगीतबद्ध करना और गाना सौभाग्य की बात है। पहले से ही वीर सावकर मेरे लिए भगवान की तरह रहे हैं। मैंने इससे 8-10 साल पहले भी एक रॉक बैंड बनाया था, जिसमें देश के लिए वीर सावरकर के त्याग और समर्पण को प्रस्तुत किया जाता था। दरअस्ल मेरी रणजीत सावरकर जी से भेंट भी सावकर साहब से संबंधित नाटक की प्रस्तुति के दरम्यान हुई थी। हम वीर सावरकर के शताब्दि वर्ष पर 6 जनवरी 2024 को स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक में ‘तपष्या पूर्ति’ नाटक का मंचन करने आए थे। उसी दौरान मेरी भेंट रणजीत सावरकर से हुई। उन्होंने इस गीत के बारे में बताया और कहा कि यह गीत मराठी में लिखा गया है, लेकिन इस गीत का संदेश पूरे देश के लोगों तक पहुंचना चाहिए। इसके लिए इसे हिंदी में प्रस्तुत करना है। मेरे लिए उनका यह ऑफर किसी स्वप्नपूर्ति से कम नहीं था। मैं तुंरत तैयार हो गया। मैं इसे संगीतबद्ध करने और गाने को लेकर काफी उत्साहित था। मैंने इसका कच्चा संगीत तैयार कर रणजीत सावरकर को भेजा। उन्हें यह काफी पसंद आया। जल्द ही यह गीत स्मारक के ही स्टूडियो में संगीतबद्ध किया गया। इस काम में मेरे दोस्त और म्यूजिक अरेंजर ऋषिकेश देसाई ने काफी सहयोग किया। गीत में देश के लिए जो त्याग और समर्पण है, वह अद्भुत है। देश से निःस्वार्थ प्रेम और अंतिम सांस तक भारत माता की रक्षा करने का जो समर्पण है, वह मुझे किसी भी अन्य गीत में नहीं दिखता। गीत में इंडी रॉक फ्यूजन का उपयोग कर देशप्रेम की पराकाष्ठा को प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है।”

गीत संगीत संयोजन टीम
‘हमारा प्रियकर हिंदुस्थान’ मूलतः मराठी गीत है, जिसे वीर सावरकर के पौत्र रणजीत सावरकर ने हिंदी में अनुवादित किया है, जबकि  प्रांजल अक्कलकोटकर ने इसे गाने के गायन के साथ ही संगीदतबद्ध भी किया है। संगीत संयोजन ऋषिकेश देसाई और श्रेयस कांबले ने किया है, जबकि तालवाद्य संयोजन ऋत्विक तांबे और सह संगीत संयोजन मिहिर दास ने किया है। गीत को वीर सावरकर स्टुडियो,दादर में संगीतबद्ध किया गया है, जबकि ध्वनिमुद्रण और  ध्वनिमिश्रण शैलेश सामंत ने किया है। वीडियो एडिटिंग दिनेश भात्रे ने की है।

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