विश्वनाथ धाम को लेकर पीएम मोदी का सपना इस बार सावन में फलीभूत होते दिख रहा है। केन्द्र और राज्य सरकार के प्रसासों से न सिर्फ नव्य-भव्य विश्वनाथ धाम का स्वरूप सामने आया बल्कि इससे बढ़े धार्मिक पर्यटन के कारण काशी सहित पूर्वांचल की अर्थव्यवस्था पर भी व्यापक असर दिखायी देने लगा है। कहा जा सकता है कि दो साल से कोरोना की मार झेल रहे व्यापारियों को श्रीकाशी विश्वनाथ धाम ने प्रदान कर दिया है। यही कारण है कि इस बार सावन में मेघ भले ही कम बरसे हों, मगर शिवभक्तों के आने से काशी में जमकर धनवर्षा हुई है।
30 लाख से भी ज्यादा शिवभक्त पहुंचे काशी
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन के अनुसार धाम के लोकार्पण के बाद पहले ही सावन में बड़े पैमाने पर शिवभक्तों का आगमन हुआ है। मंदिर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) सुनील वर्मा की मानें तो 14 जुलाई से शुरू हुए पवित्र सावन माह से लेकर अबतक (20 दिन में) 30 लाख से भी ज्यादा शिवभक्त काशी विश्वनाथ के दरबार में मत्था टेक चुके हैं। उन्होंने बताया कि बड़ा परिसर होने के कारण शिवभक्तों की आश्चर्यजनक रूप से हुई वृद्धि को संभालने में काफी मदद मिली है। सीईओ के अनुसार पहले जहां सावन में प्रतिदिन बामुश्किल 70 हजार शिवभक्त मंदिर पहुंचते थे, आज यह आंकड़ा दो लाख व्यक्ति प्रतिदिन के आसपास है।
बेहतर सुविधाओं ने शिवभक्तों को किया आकर्षित
सीईओ सुनील वर्मा के अनुसार श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर पहले तंग गलियों में हुआ करता था। मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को दर्शन करने में काफी दिक्कतें होती थीं। मगर अब विश्वनाथ धाम बनने के कारण हमारे पास जगह की कोई कमी नहीं है। इसके साथ ही शिवभक्तों की सुविधाओं में भी बढ़ोतरी की गयी है। बेहतर हुई सुविधाएं, उन मुख्य वजहों में से एक है जिसके कारण यहां श्रद्धालुओं के आगमन में बढ़ोत्तरी दर्ज की गयी है।
श्रद्धालुओं को मिल रही हैं ये सुविधाएं
मुख्य कार्यकारी अधिकारी की मानें तो अब मंदिर परिसर के अंदर काफी बड़ा टेंट लगा हुआ है। जगह-जगह पर कूलर लगे हुए हैं। पर्याप्त पंखे हैं। रोशनी की अच्छी व्यवस्था है। कतार में लगे शिवभक्तों की सुविधा के लिये जिगजैग लगे हैं। गर्मी में पैर न जले और बारिश में फिसलन न हो, इसके लिये मंदिर चौक से ही नारियल के मैट बिछाये गये हैं। साथ ही आरओ वॉटर और वाशरूम की भी सुविधा है। इसके अलावा हर गेट के बाहर से हमने झांकी दर्शन की व्यवस्था भी की है। सिर्फ इतना ही नहीं दूर दराज से आने वाले पर्यटक पहले मंदिर के साथ तस्वीर नहीं खिंचा सकते थे, मगर अब वे मंदिर के साथ अपनी तस्वीरें भी ले रहे हैं और सोशल मीडिया पर शेयर भी कर रहे हैं। वहीं लॉकर आदि की सुविधा ने लोगों को उनके सामान की सुरक्षा को लेकर बेफिक्र किया है।
पांच गुना बढ़ा चढ़ावा
इस बार शिवभक्तों की अटूट श्रृंखला ने मंदिर के चढ़ावे में भी अप्रत्याशित रूप से वृद्धि की है। मंदिर प्रशासन के अनुसार इस बार सावन में लगभग पांच गुना की बढोतरी देखी गयी है। सीईओ के अनुसार आंकड़े आना अभी बाकी हैं। मगर इसे एक उदाहरण से ऐसे समझ सकते हैं कि जहां पहले पांच रुपये का चढ़ावा चढ़ता था, अब बढ़कर 25 रुपया हो गया है। यानी पांच गुना की वृद्धि हुई है। नि:संदेह शिवभक्तों की ओर से चढ़ाया जाने वाला चढ़ावा ना सिर्फ सरकार के राजस्व में वृद्धि को दर्शाता है, बल्कि इससे काशी के साथ ही पूरे प्रदेश की अर्थव्यवस्था को बल मिल रहा है।