Dhanurasana: धनुरासन के मुख्य लाभ और नुकसान क्या हैं?

धनुरासन का मुख्य लाभ यह है कि यह रीढ़ की हड्डी को लचीला और मजबूत बनाता है, जिससे पूरे शरीर की स्नायु प्रणाली और पाचन तंत्र पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

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धनुरासन (Dhanurasana) का नाम संस्कृत शब्द ‘धनुर’ (धनुष) और ‘आसन’ (मुद्रा) से लिया गया है, क्योंकि इसमें शरीर एक खिंचे हुए धनुष (Bow) के समान दिखता है। धनुरासन एक प्रभावी योगासन (Effective Yoga Asanas) है, लेकिन यदि इसे गलत तरीके से किया जाए या कुछ विशेष परिस्थितियों में किया जाए, तो यह नुकसानदायक हो सकता है।

शुरुआत की स्थिति
पेट के बल लेट जाएं और दोनों हाथों को शरीर के बगल में रखें।
ठोड़ी को जमीन पर टिकाएं और दोनों पैरों को मोड़ें, जिससे एड़ियां नितंबों के पास आ जाएं।

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पकड़ बनाना
दोनों हाथों से पीछे की ओर जाकर टखनों को पकड़ें।

आसन में आना
सांस भरते हुए छाती और जांघों को ऊपर उठाएं।
सिर को ऊपर उठाते हुए सामने देखें।
शरीर को धनुष के आकार में मोड़ें और संतुलन बनाए रखें।

स्थिति बनाए रखना
इस मुद्रा में 15-30 सेकंड तक रुकें और धीरे-धीरे सांस लें।
शरीर को अधिक खींचने की कोशिश करें लेकिन बिना असुविधा के।

वापस लौटना
धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए पैरों और छाती को जमीन पर लाएं।
हाथों को छोड़ दें और विश्राम करें।

धनुरासन के लाभ
रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है।
पाचन तंत्र को सुधारता है और कब्ज दूर करता है।
पेट की चर्बी कम करने में सहायक।
छाती और कंधों को मजबूत बनाता है।
थकान और तनाव कम करता है।

धनुरासन के संभावित नुकसान
धनुरासन एक प्रभावी योगासन है, लेकिन यदि इसे गलत तरीके से किया जाए या कुछ विशेष परिस्थितियों में किया जाए, तो यह नुकसानदायक हो सकता है।

धनुरासन का मुख्य लाभ
धनुरासन का मुख्य लाभ यह है कि यह रीढ़ की हड्डी को लचीला और मजबूत बनाता है, जिससे पूरे शरीर की स्नायु प्रणाली और पाचन तंत्र पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

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