RBI Monetary Policy Repo Rate : मौद्रिक नीति में रेपो दर क्या है?

रेपो रेट भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा तय की जाने वाली एक महत्वपूर्ण ब्याज दर है, जिसका उपयोग मौद्रिक नीति को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।

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RBI Monetary Policy Repo Rate : 

मौद्रिक नीति में रेपो रेट
रेपो रेट भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा तय की जाने वाली एक महत्वपूर्ण ब्याज दर (Interest Rate) है, जिसका उपयोग मौद्रिक नीति (Monetary Policy) को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। इसका पूरा नाम “रिपर्चेज ऑपरेशन रेट” है। यह वह दर है जिस पर RBI वाणिज्यिक बैंकों को अल्पकालिक धन उधार (Loan) देता है। रेपो रेट (Repo Rate) का सीधा प्रभाव देश की अर्थव्यवस्था, महंगाई और क्रेडिट प्रणाली पर पड़ता है।

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रेपो रेट का महत्व
रेपो रेट को भारतीय अर्थव्यवस्था का थर्मामीटर माना जाता है। जब अर्थव्यवस्था में महंगाई बढ़ने लगती है, तो RBI रेपो रेट बढ़ाकर धन की आपूर्ति को नियंत्रित करता है। इसके विपरीत, अगर अर्थव्यवस्था में मंदी का दौर चल रहा हो, तो रेपो रेट घटाकर बाजार में धन की आपूर्ति को प्रोत्साहित किया जाता है। (RBI Monetary Policy Repo Rate)

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रेपो रेट का कार्य
रेपो रेट के तहत, वाणिज्यिक बैंक RBI से ऋण लेने के लिए अपनी सरकारी प्रतिभूतियों (गवर्नमेंट सिक्योरिटीज) को गिरवी रखते हैं। यह प्रक्रिया एक निश्चित अवधि के लिए होती है और जब यह अवधि समाप्त होती है, तो बैंक अपनी प्रतिभूतियों को पुनः खरीद लेते हैं। इस प्रक्रिया में जो ब्याज दर लगाई जाती है, उसे ही रेपो रेट कहते हैं। (RBI Monetary Policy Repo Rate)
रेपो रेट कैसे काम करता है?
  • महंगाई नियंत्रण: यदि बाजार में धन का प्रवाह अधिक हो और महंगाई बढ़ रही हो, तो RBI रेपो रेट बढ़ा देता है। इससे बैंकों को उधार लेना महंगा हो जाता है और वे बाजार में कम ऋण प्रदान करते हैं। इससे धन की आपूर्ति घटती है और महंगाई नियंत्रित होती है।
  • आर्थिक विकास: जब आर्थिक मंदी होती है और बाजार में धन की कमी होती है, तो RBI रेपो रेट कम कर देता है। इससे बैंकों के लिए उधार लेना सस्ता हो जाता है, और वे कम ब्याज दरों पर आम जनता और व्यवसायों को ऋण प्रदान कर सकते हैं। इससे आर्थिक गतिविधियों को बल मिलता है। (RBI Monetary Policy Repo Rate)

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रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट
  • रेपो रेट: यह वह दर है जिस पर RBI बैंकों को उधार देता है।
  • रिवर्स रेपो रेट: यह वह दर है जिस पर RBI बैंकों से उनकी अतिरिक्त नकदी को जमा करता है।
दोनों दरें एक दूसरे की पूरक होती हैं और मौद्रिक नीति में संतुलन बनाए रखने में मदद करती हैं।
रेपो रेट का प्रभाव
  1. उधार दरों पर प्रभाव: रेपो रेट में बदलाव का सीधा असर बैंकों की ब्याज दरों पर पड़ता है। रेपो रेट बढ़ने पर होम लोन, कार लोन, और व्यक्तिगत ऋण महंगे हो जाते हैं।
  2. बचत पर प्रभाव: रेपो रेट बढ़ने से बचत खातों और फिक्स्ड डिपॉजिट की ब्याज दरों में भी वृद्धि होती है।
  3. महंगाई पर प्रभाव: रेपो रेट बढ़ने से मांग में कमी आती है, जिससे महंगाई कम होती है।

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हाल के संदर्भ
पिछले कुछ वर्षों में, COVID-19 महामारी के दौरान भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में कमी की थी ताकि बाजार में तरलता (लिक्विडिटी) बढ़ाई जा सके। हालांकि, बाद में महंगाई बढ़ने पर इसे नियंत्रित करने के लिए रेपो रेट को बढ़ाया गया।
रेपो रेट एक शक्तिशाली मौद्रिक उपकरण है जो अर्थव्यवस्था में संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। यह न केवल महंगाई और तरलता को नियंत्रित करता है बल्कि आर्थिक विकास और स्थिरता सुनिश्चित करने में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मौद्रिक नीति के अन्य पहलुओं के साथ, रेपो रेट का प्रभावी उपयोग भारतीय अर्थव्यवस्था को स्वस्थ और संतुलित बनाए रखने में सहायक होता है। (RBI Monetary Policy Repo Rate)

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