नई निजता नीति (प्राइवेसी पॉलिसी) के खिलाफ वॉट्सएप द्वारा दायर चाचिका की सुनवाई के दौरान देश के सर्वोच्च न्यायालय ने वॉट्सएप को फटकार लगाई है। न्यायालय ने कहा कि लोगों की निजता आपके पैसे से ज्यादा महत्वपूर्ण है। लोगों को इस बात की चिंता रहती है कि कहीं उनकी निजता में सेंध न लग जाए। इसलिए लोगों की निजता को सुरक्षित करना हमारा कर्तव्य है। सर्वोच्च न्यायालय ने वॉट्सएप-फेसबुक और केंद्र सरकार को याचिका पर सुनवाई के दौरान जवाब दाखिल करने को कहा था।
सर्वोच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि आपकी वॉट्सएप दो यी तीन ट्रिलियन की कंपनी होगी, लेकिन लोगों की निजता की कीमत आपके पैसे से अधिक है। न्यायालय ने इस मामले में केंद्र सरकार, फेसबुक व वाट्सएप को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है। वाट्सएप की निजता की नीति के खिलाफ 2017 से पेंडिंग केस में ये याचिका दायर की गई है।
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दोनों ने रखा अपना पक्ष
याचिकाकर्ता के वकील श्याम दीवान ने कहा कि मैसेजिंग एप ने भारतीयों के लिए निचले स्तर की प्राइवेसी पॉलिसी बनाई गई है। उन्हें डाटा शेयर करने से रोकना चाहिए। वॉट्सएप की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि यूरोप में विशेष कानून है और ऐसे में अगर संसद कानून बनाती है तो वॉट्सएप उसका पालन करेगा।
केंद्र सरकार का आरोप
केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय से कहा कि सोशल मीडिया एप्स किसी शख्स का डाटा किसी और शेयर नहीं कर सकते तथा डाटा को निश्चित तौर पर सुरक्षित करना जरुरी है। याचिकाकर्ता ने वॉट्सएप की नई प्राइवेसी पॉलिसी को चुनौती दी है। उसने आरोप लगाया है कि उपभोक्ताओं की बड़ी मात्रा में डाटा को अपने फायदे के लए शेयर किया जा रहा है।