केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा कि कुष्ठ रोग के नए मामलों में साल दर साल कमी आ रही है। पूरी सरकार, पूरे समाज के समर्थन, तालमेल और सहयोग से, हम एसडीजी से तीन साल पहले 2027 तक कुष्ठ मुक्त भारत के लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।
30 जनवरी को राष्ट्रीय कुष्ठ रोग दिवस मनाने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि इस वर्ष की थीम कुष्ठ रोग से लड़ना है और कुष्ठ रोग को इतिहास बनाना है। साल 2005 में राष्ट्रीय स्तर पर प्रति 10,000 जनसंख्या पर 01 मामले की व्यापकता दर हासिल करने में सफल रहे हैं। कुष्ठ रोग को खत्म करने के लिए लगातार प्रयास करना समय की मांग है। यह एक इलाज योग्य बीमारी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में, हमने बीमारी के विकास की रोकथाम के लिए व्यापक उपायों को अपनाया है। वर्ष 2016 से, कुष्ठ केस डिटेक्शन कैंपेन (एलसीडीसी) के तहत सक्रिय रूप से मामलों का पता लगाने के लिए नए सिरे से प्रयास किए गए थे।
लगातार आ रही है कमी
इस मौके पर केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ भारती प्रवीन पवार ने राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के प्रयासों पर जोर देते हुए कहा कि केन्द्र सरकार ने कुष्ठ के मरीजों को उनकी पुनर्निर्माण सर्जरी के लिए कल्याण भत्ता 8,000 रुपये से बढ़ाकर 12,000 रुपये कर दिया गया है। कार्यक्रम की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने यह भी बताया कि कुष्ठ रोग की व्यापकता दर 2014-15 में प्रति 10,000 जनसंख्या पर 0.69 से घटकर 2021-22 में 0.45 हो गई है। इसके अलावा, प्रति 100,000 जनसंख्या पर वार्षिक नए मामले का पता लगाने की दर 2014-15 में 9.73 से घटकर 2021-22 में 5.52 हो गई है।