किसी का विवाह होना हो और दस दिन पहले ही दूल्हन को लकवा मार जाए तो क्या होगा? यह सोचने से भी मन घबराने लगता है। परंतु, मुंबई में पेशे से फिजियोथेरेपिस्ट डॉ.पूजा हेमनानी के साथ ऐसा हो चुका है। उनके कमर के नीचे का आधा हिस्सा काम करना बंद कर चुका था। परंतु, हम यानी परिवार, तुम यानी होनेवाले पति और वॉकहार्ट अस्पताल के दक्ष डॉक्टरों के दल ने पूजा की प्रार्थना सफल कर दी। जिससे लकवा की शिकार वो दूल्हन दस दिनों में ही जिंदगी की दौश में सम्मिलित हो गई।
पिछले महीने पूजा जब नींद से जागी तो वह खुद बिस्तर से उठ पाने में असमर्थ थीं। कमर के नीचे शरीर के हिस्से के सभी मूवमेंट बंद हो गए थे। इस लकवा के अटैक से वह सदमें में थी, क्योंकि दो सप्ताह बाद ही उनकी शादी होनेवाली थी। लेकिन कहते हैं कि ना प्यार में सच्ची ताकत होती है। होनेवाले पति के इसी प्यार के बल पर और डॉक्टरों के सर्वोत्कृष्ठ उपचार से पूजा की प्रार्थना सफल हो गई। अब पूजा परिणय सूत्र में बंध गई हैं और अपने पति के घर हैं।
ये भी पढ़ें – कोविड-19 उपचार और टीकाकरण में महाराष्ट्र की धमक
एक चाहत ऐसी भी
डॉ.पूजा हेमनानी मुंबई की रहनेवाली हैं और फिजियो थेरेपिस्ट हैं, उनकी खुद की क्लीनिक भी है। दिसंबर में पूजा की शादी थी, लेकिन इसके दो सप्ताह पहले ही पूजा को लकवा का अटैक आया। कमर के नीचे के शरीर का पूरा हिस्सा अचानक काम करना बंद कर दिया। फिजियोथेरेपिस्ट होने के बावजूद वह खुद के लिए कुछ नहीं कर पा रही थी। पूजा ने बताया कि उसे बड़ा सदमा लग गया था। उन्हें ऐसा लगा कि अब उनकी पूरी जिंदगी दूसरों के सहारे पर ही निर्भय रहेगी। लेकिन संकट की इस घड़ी में उनके मंगेतर जय मोरजानी ने उनका साथ नहीं छोड़ा।
साथिया का हाथ और वॉकहार्ट अस्पताल का साथ
पूजा बताती हैं कि इस अटैक के बाद उनके वरिष्ठ डॉक्टर के निर्देश पर उनके परिवार वाले उन्हें मुंबई सेन्ट्रल के वॉकहार्ट अस्पाताल ले गए। पूजा का इलाज करनेवाले स्पाइन सर्जन डॉ. मजदा तूरेल ने बताया कि पूजा को अस्पताल में भर्ती करने के बाद उनका फौरन एमआरआई किया गया। एमआरआई में उनके रीढ़ की हड्डी के हिस्से में खून का थक्का पाया गया। यह ब्लड क्लॉट पूरी तरह से स्पाइन को दबा रहा था जिस वजह से उनके दोनों पैर काम नहीं कर पा रहे थे। तुरंत सर्जरी कर उस ब्लड क्लॉट को हटाया गया। सर्जरी सफल रही।
पूजा ने बताया कि जय के प्यार और डॉक्टरों के विश्वास की वजह से वह आज खुद से चल पा रही है। इतना ही नहीं तय समय पर उनकी शादी भी बड़ी धूमधाम से हुई। इस शादी में उनका इलाज करनेवाले डॉक्टरों की टीम भी शामिल रही।
दस दिनों में हो गई पूजा की जय
मुंबई सेन्ट्रल वॉकहार्ट अस्पाताल के स्पाइन सर्जन, डॉ. मजदा तूरेल ने बताया कि सर्जरी के दो दिन बाद से ही पूजा पहले सहारे के दम पर चलने लगी। एक सप्ताह बाद पूजा बिना सहारे के चलने की कोशिश करने लगी। अपनी इच्छा शक्ति के दम पर ही पूजा 10 दिनों के भीतर खुद से चल पड़ी।