भारत के उपराष्ट्रपति, जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) ने 04 सितंबर को जयपुर में “विश्वविद्यालय महारानी महाविद्यालय” की छात्राओं (female students) के साथ “राष्ट्र निर्माण में महिलाओं की भागीदारी” विषय पर संवाद कार्यक्रम में भाग लिया। छात्राओं से संवाद के दौरान उपराष्ट्रपति ने कहा कि महिलाओं (women) के लिए आसमान ही सीमा है, वे हर क्षेत्र में – प्रशासन, सेना, कॉरपोरेट में सफलता के नए प्रतिमान गढ़ रही हैं। उन्होंने महिलाओं को कहा कि अपने निर्णय स्वयं लें और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनें। पुरुषों की नकल मत कीजिए, वे आपसे श्रेष्ठ नहीं हैं, अपने आपको मौलिक रखिये।
…तो भारत 2047 से पहले बनेगा विश्व शक्ति
उपराष्ट्रपति (Vice President) ने विश्वास व्यक्त किया कि अब वो दिन दूर नहीं जब संविधान (Constitution) में संशोधन करके संसद (Parliament) और विधान सभाओं (Legislative Assemblies) में महिलाओं को उनका उचित प्रतिनिधित्व मिलेगा। यदि महिलाओं को ये आरक्षण (reservation) जल्दी मिल गया तो भारत 2047 से पहले ही विश्व शक्ति बन जायेगा।
छात्राओं को दिए तीन मंत्र
अपने संबोधन में उपराष्ट्रपति धनखड़ ने छात्राओं को तीन मंत्र दिए – पहला, कभी टेंशन मत लीजिये, टेंशन लेने से कुछ नहीं होता। दूसरा, असफलता से कभी मत डरिये और तीसरा यह कि आपके दिमाग मे कोई अच्छा विचार आये तो उसे केवल दिमाग मे मत रखे रखिये बल्कि जमीन पर लागू करिये। उपराष्ट्रपति ने युवाओं से अति-प्रतिस्पर्धा में ना पड़ने की अपील करते हुए कहा कि उन्हें अपनी रुचि के अनुसार कैरियर के चुनाव करना चाहिए।
महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण में बदलाव
महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण में आ रहे बदलाव को रेखांकित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने राज्य सभा मे ‘चेयरमैन’ की जगह जेंडर न्यूट्रल शब्द ‘चेयरपर्सन’ को बढ़ावा दिया है। अब ‘Panel of Vice Chairmen’ की जगह ‘Panel of Vice Chairperson’ शब्द का प्रयोग किया जाता है। धनखड़ ने आगे बताया “मैंने पहली बार राज्य सभा के उपसभापति पैनल में पचास फीसदी महिलाओं की नियुक्ति की है और उनका प्रदर्शन उत्कृष्ट रहा है।” राज्य सभा में महिला सशक्तीकरण हेतु उठाये अन्य कदमों के विवरण देते हुए धनखड़ ने कहा कि मैं जब भी देश-विदेश की यात्रा के लिए डेलिगेशन के नामों का निर्णय करता हूँ तो उसमें महिलाओं को प्राथमिकता देता हूँ ताकि जिन लोगों को अभी तक बाहर जाने का मौका नहीं मिला था, उन्हें भी अवसर मिले।
महिलाओं के योगदान के बिना प्रगति नहीं
उपराष्ट्रपति ने कहा कि महिलाओं की प्रगति में रुकावट पैदा करने के अनेक प्रयास हुए हैं लेकिन अब समाज का दृष्टिकोण बदल रहा है। 2019 में पहली बार लोक सभा में 78 महिला सांसद निर्वाचित होकर आयी हैं। विश्व महिलाओं के योगदान के बिना प्रगति नहीं कर सकता।
यह भी पढ़ें –रेल यात्रियों के लिए काम की खबर! जी-20 सम्मेलन के कारण कुल 207 ट्रेनें अस्थाई रूप से रद्द
Join Our WhatsApp Community