बक्सर में देव-दीपावली के अवसर पर 11 लाख 30 हजार रंग-बिरंगे दीपों से ताड़का-वध और चरणधूलि से माता अहिल्या का कल्याण करते हुए भगवान श्रीराम की ज्योति छवि बनाकर बक्सर ने विश्व कीर्तिमान स्थापित किया। श्रीराम कर्मभूमि न्यास द्वारा अहिल्या माता धाम, अहिरौली में आयोजित 9 दिवसीय ऐतिहासिक सनातन संस्कृति समागम का 7 नवम्बर को हर्षोल्लास के साथ भव्य शुभारंभ हुआ।
वर्ल्ड रिकॉर्ड यूनियन मेम्बर की ऑफिशियल अफसर मिस शरीफा ने इसकी घोषणा की। इस दौरान श्रीराम कर्मभूमि न्यास के संथापक एवं केन्द्रीय राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे, पदम् विभूषण जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी महाराज, जीयर स्वामी जी महाराज, ऋषिकेश परमार्थ निकेतन उत्तराखंड पूज्य स्वामी चिदानंद सरस्वती जी, वृंदावन उत्तरप्रदेश से स्वामी अनंताचार्य जी महाराज, प्रयागराज उत्तरप्रदेश से महामंडलेश्वर स्वामी यतीन्द्रनाथ गिरी जी उपस्थित रहे।
50 कलाकारों ने 9 दिनों में तैयार की श्रीराम की ज्योति छवि
-श्रीराम कर्मभूमि में आयोजित कर्यक्रम स्थल पर भागलपुर से आये निखिलम आर्ट कुटीर के कलाकार अनिल कुमार के साथ 13 कलाकारों व अन्य स्थानीय कलाकारों ने साथ मिलकर श्रीराम की भव्य ज्योति छवि का निर्माण किया है। ज्योति छवि का निर्माण 29 अक्टूबर से प्रारम्भ हुआ था जिसे 6 नवम्बर को 9 दिनों के अंदर तैयार किया गया। ज्योति छवि के निर्माण में कुल 11 लाख 30 हजार मिट्टी के दियों का उपयोग हुआ है।
-दियों को रंगीन स्वरूप देने के लिए 17 तरह के रंगों का प्रयोग हुआ है, जिसमे कुल 80 लीटर पेंट का उपयोग हुआ साथ ही 4 क्विंटल तेल से आकृति की चारों बिछाए गए दियों को रौशन कर श्रीराम का ज्योति स्वरूप प्रकट किया गया है।
-ज्ञात हो कि माता अहिल्या धाम, अहिरौली में 7 नवम्बर से 9 दिवसीय सनातन संस्कृति समागम एवं अन्तर्राष्ट्रीय संत सम्मेलन का शुभारंभ हो चुका है। जिसमें 9 दिनों तक कथा-यज्ञ और सांस्कृतिक कार्यक्रम सम्पन्न होंगे। इस दौरान कार्यक्रम में देश की प्रतिष्ठित साधु-संत एवं राजनैतिक हस्तियां शिरकत करेंगे।
-सांस्कृतिक समागम के दूसरे दिन 8 नवंबर को अंतर्राष्ट्रीय संत सम्मेलन में मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत है। सम्मेलन में भारत के विभिन्न मठ मंदिरों के संत महात्माओं के साथ श्रीलंका, मॉरीशस, इंडोनेशिया नेपाल के धर्म प्रचारक शामिल हो रहे हैं। भगवान श्री राम की कर्मभूमि बक्सर है इसके सांस्कृतिक आध्यात्मिक वैश्विक स्तर पर पहचान के लिए चर्चा होगी।
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