आज 23 अगस्त को विश्व वड़ा पाव दिवस (World Vada Pav Day) है। महाराष्ट्र (Maharashtra) का मशहूर वड़ा पाव (Vada Pav) कई लोगों का पेट भरता है। यह वड़ा पाव कई लोगों का सुबह का नाश्ता रात का खाना होता है। मुंबई (Mumbai) आने वाले लोग वड़ा पाव जरूर खाते हैं। वड़ा पाव आपको मुंबई में हर जगह सड़क किनारे और रेस्टोरेंट में मिल जाएगा। वड़ा पाव की कीमत 10 रुपये से लेकर 80 रुपये से लेकर 100 रुपये तक है।
जब इसकी शुरुआत हुई तब से यह 10 पैसा में बिकता था। 23 अगस्त को दुनिया भर में विश्व वड़ा पाव दिवस के रूप में मनाया जाता है। आज ऐसा नहीं है कि इसके बारे में सिर्फ मुंबईकर ही जानते हैं। बल्कि ये वड़ा पाव विश्व प्रसिद्ध है। कई मुंबईकरों द्वारा ‘अब तक का सबसे तेज फास्ट फूड’ कहे जाने वाले वड़ा पाव को मुंबई का सबसे बड़ा खाद्य उपहार माना जाता है।
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वड़ा पाव की शुरुआत
आज मुंबई में आपको दिन या रात किसी भी वक्त वड़ा पाव खाने को मिलेगा। जब वड़ा पाव की शुरुआत हुई। तब यह 6 या 7 घंटे के लिए उपलब्ध होता था। दोपहर 2 बजे से शाम 6 बजे तक ठेले पर बेचते थे। पहले यह केवल मुंबई में कुछ जगहों पर ही उपलब्ध था। आज मुंबई हो या भारत का कोई भी शहर में आपको वड़ा पाव मिल जाएगा। इतना ही नहीं विदेशों में भी वड़ा पाव मिलता है। ये जानकर आपको हैरानी होगी। वड़ा पाव लोगों की आजीविका का भोजन है। आपको बता दें कि वड़ापाव का जन्म 1966 में दादर स्टेशन के बाहर अशोक वैद्य के फूड ट्रक पर हुआ था। लोग कहते हैं कि सुधाकर म्हात्रे के वड़ापाव की शुरुआत भी दादर में ही हुई थी। पहले उन्होंने आलू की सब्जी और पोली खाने की बजाय बेसन में आलू की सब्जी तलकर वड़ा बनाना शुरू किया।
विदेशों में भी मशहूर वड़ा पाव
मुंबई के कॉलेज छात्रों ने 2010 में लंदन में वड़ा पाव की शुरुआत की। दो दोस्तों ने मिलकर यह होटल खोला और आज वे प्रति वर्ष 4 करोड़ से अधिक कमाते हैं।
वड़ा पाव का इतिहास
जब 1970 से 1980 के दशक में मुंबई में कंपनियां बंद होने लगीं। फिर यह मजदूरों के लिए आजीविका का साधन बन गया। धीरे-धीरे सड़क पर हर जगह वड़ा पाव की गाड़ियाँ लगने लगीं। उस समय शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे ने कहा था कि हर मराठी व्यक्ति को बिजनेस में आना चाहिए। फिर उसी समय से वड़ापाव का छोटा बिजनेस शुरू हो गया। वहीं, जैसे ही शिवसेना ने दक्षिण भारतीयों के खिलाफ रुख अपनाया, उडुपी के होटलों में दक्षिणी भोजन का विरोध करने के लिए शिवसेना ने मुंबई के दादर और माटुंगा जैसे इलाकों में वड़ापाव का प्रचार करना शुरू कर दिया। उडुपी की जगह वड़ापाव खाना शुरू कर दिया। शिवसेना ने राजनीतिक स्तर पर वड़ापाव की ब्रांडिंग की। इस प्रकार शिव वड़ापाव का जन्म हुआ।
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