पाकिस्तानी मूल के लेखक तारिक फतेह ने पैंगबर मोहम्मद को लेकर चल रहे विवाद पर अपनी बात रखी है। उन्होंने इस मामले में निशाना बनी भारतीय जनता पार्टी की निलंबित प्रवक्ता नुपूर शर्मा का हो रहे विरोध पर बेबाक टिप्पणी की है। कनाडा में रहने वाले पाकिस्तान मूल के इस विद्वान ने कहा है कि भारत का वर्तमान मुस्लिम नेतृत्व न तो अभिव्यक्ति की आजादी को मानता है और न ही किसी तरह की आलोचना बर्दाश्त करता है।
तारिक फतेह ने कहा कि भारतीय मुसलमान आज भी 12वीं सदी में जी रहा है। इसलिए उसका विश्वास लूटपाट करने, गर्दन काटने, आगजनी करने और पत्थरबाजी करने में है। उन्होंने कहा कि भारत में हो रही हिंसा में देश को बांटने वाली ताकतों का हाथ है।
हिंसा के लिए ऐसे लोग जिम्मेदार
फतेह ने हिंसा के लिए मदरसों और मस्जिदों से निकलने वाले नेताओं और मौलवियों को जिम्मेदार ठहराया। फतेह ने कहा कि जब तक काफिर शब्द का इस्तेमाल होता रहेगा, तब तक मुसलमान भारतीय नहीं बन पाएंगे। पाकिस्तान मूल के इस लेखक ने कहा कि मुसलमानों को ऐसे नेतृत्व की जरुरत है, जो राजनीति और धर्म में मिलावट न करे। उन्होंने कहा कि कुछ मुसलमानों की सोच है कि कमायत का दिन हिंदुओं को खत्म कर देने और मंदिरों को ध्वस्त करने के बाद ही आएगा।
ओवैसी की आलोचना
तारिक फतेह ने असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेताओं की जगह आरिफ मोहम्मद खान जैसे नेताओं को आगे लाने की बात कही। उन्होंने कहा कि शेख लोग हैदराबाद से लड़कियों को खरीद ले जाते हैं, तब ओवैसी जैसे लोग मुंह नहीं खोलते हैं। उन्होंने कहा कि मौलवियों को खूनखराबा कराने के आलावा कुछ नहीं आता।
मुस्लिम लड़कियों को दी यह सलाह
तारिक फतेह ने कहा कि हर मुस्लिम लड़की को हिंदू लड़के से शादी करनी चाहिए। फतेह ने नसीरुद्दीन शाह को समझदार बताते हुए कहा कि वो कभी- कभी दबाव में आकर गलतबयानी कर जाते हैं। उन्होंने कहा कि जिन मुस्लिम कट्टरपंथियों के कारण पाकिस्तान बना, वे भारत में ही रह गए।
काशी-मथुरा पर कही ये बात
कतर के प्रति यहां के मुस्लिमों की निष्ठा है, जिसकी कोई हैसियत नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने 8 साल के कार्यकाल में मुसलमानों को कुछ नहीं कहा। काशी-मथुरा पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि इस विवाद को मुस्लिमों को आगे आकर खुद खत्म कर देना चाहिए।