बच्चों के लिए निर्मित स्वदेशी कोविड-19 वैक्सीन को आपात उपयोग की अनुमति मिल गई है। इस वैक्सीन को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने अनुमति दे दी है। इससे 12 वर्ष के ऊपर के किशोर और प्रौढ़ लाभान्वित होंगे।
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विश्व की पहली और स्वदेशी विज्ञान से डीएनए आधारित वैक्सीन के बाजार में आने का मार्ग साफ हो गया है। इसे भारत सरकार के बायोटेक्नालॉजी विभाग और जायडस कैडिला ने मिलकर बनाया है। इसका निर्माण केंद्र सरकार के ‘मिशन कोविड सुरक्षा’ के अधीन किया गया है। जिसका संचालन बीआईआरएसी द्वारा किया जाएगा। इसका नाम जायकोव-डी है, जिसकी तीन डोज लेनी होगी। इसे लेने के बाद शरीर में सार्स-सीओवी-2 की स्पाइक प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाती है। जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता इस रोग से लड़ने के लिए सुदृढ़ हो जाती है। यह वैक्सीन प्लग एंड प्ले तकनीकी पर आधारित है, जिस पर प्लास्मिड डीएनए प्लेटफॉर्म आधारित होता है, जो कोविड-19 वाइरस के म्यूटेशन्स से लड़ने में कारगर होता है।
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