उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में पाकिस्तान से आए दो हिंदू परिवारों के 15 सदस्यों को एलआईयू ने हाउस अरेस्ट किया। सभी से पूछताछ जारी है। ये लोग छह माह पहले ट्रेन से पाकिस्तान के कराची से अटारी बॉर्डर होते हुए अमृतसर पहुंचे थे। यहां से दिल्ली और फिर चित्रकूट आए। उनके चित्रकूट पहुंचने की सूचना से पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया।
जिले के शिवरामपुर चौकी क्षेत्र के संग्रामपुर में पुलिस को शुक्रवार को सूचना मिली कि कुछ दिनों से 15 पाकिस्तानी यहां रह रहे हैं। पुलिस टीम ने मौके पर पहुंचकर सभी से पूछताछ शुरू कर दी। पूछताछ में हिंदू परिवार के राकेश ने बताया कि वे कराची में रहते थे। वे सभी पाकिस्तान से छह माह पहले अमृतसर होते हुए दिल्ली पहुंचे। दिल्ली में उनकी भेंट कमलेश पटेल से हुई। कमलेश पटेल ही उन्हें यहां लेकर आया है। हिंदू परिवारों में चार बच्चियों समेत सात महिलाएं हैं, तीन साल के एक बच्चे समेत आठ पुरुष शामिल हैं। वे अपना पता पाकिस्तान के कराची जिले के खैरपुर थाना क्षेत्र के खैरपुर गांव बताते हैं।
हिंदू परिवारों ने कहा कि पाकिस्तान के हालात बदतर हैं। वहां महंगाई चरम सीमा पर है। हिंदुओं के साथ रोज जुल्म होता है। आम जरूरतें पूरी करना, वहां रहना मुश्किल है। इसलिए उन्होंने यहां शरण ली है। उन्हें यहां बसने की इजाजत दी जाए। उन्होंने बताया कि सात लोग पहले आए थे। कुछ दिन बाद आठ लोग और आ गए। जो पहले आए थे, उनका वीजा खत्म हो गया है। दिल्ली एम्बेसी में वीजा बढ़ाने की एप्लीकेशन दी है। वे गलत नहीं हैं, न कोई जासूस हैं। हालातों के मारे हैं। पूरी एंट्री भारतीय एम्बेसी में है। वे गलत तरीके से नहीं रहना चाहते। भारत सरकार से मांग है कि उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाए।
इस मामले में एएसपी चक्रपाणि त्रिपाठी ने कहा कि सूचना मिली है कि कुछ पाकिस्तानी संग्रामपुर में रह रहे हैं। मौके पर सीओ एलआईयू और इंस्पेक्टर पहुंचे हैं। जांच जारी है। जांच के बाद पूरे मामले की विस्तार से जानकारी दी जाएगी।
हिंदू परिवारों को शरण देने वाले कमलेश पटेल ने कहा कि वे समाजसेवी हैं। टीवी-अखबार में देखते थे कि पाकिस्तान से गरीब हिंदू भाई-बहन भारत आए हैं। उनकी हालत खराब है। ये लोग झुग्गी-झोपड़ी में पड़े थे। यहां 15 लोगों को लेकर आये हैं। सभी पाकिस्तानी शरणार्थियों की मदद कर रहे हैं। इन्होंने फेसबुक से संपर्क किया था। कमलेश पटेल ने कहा कि उन्होंने इन्हें चित्रकूट धाम बुलाया है। सभी दिल्ली में रजिस्टर्ड हैं। कागज देखिए, ये तो सिर्फ 15 लोग हैं। दिल्ली के भाटी माइंस, मजनू टीला और सिग्नेचर बीच में 60 हजार से ज्यादा पाकिस्तानी शरणार्थी रह रहे हैं। वे खुद वहां देखकर आये हैं। जो उनसे मदद मांगेगा, वे सभी की मदद करेंगे। इनके वीजा को फिर से अप्लाई किया है। सभी को यहां रोजी-रोजगार और रहने को घर दिया है।
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