देश की आर्थिक राजधानी मुंबई की यातायत को सुचारु और सुविधाजनक बनाने के लिए ड्रीम प्रोजेक्ट कोस्टल रोड का काम शुरू है, हालांकि कोरोना काल में इसकी गति थोड़ी धीमी होने की बात कही जा रही है। इसके बावजूद इस वर्ष के अंत तक इसका 20 प्रतिशत काम पूरा हो जाने का अनुमान है। इस प्रोजक्ट को जुलाई 2023 में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
प्रशासन और विशेषज्ञों का दावा है कि समुद्री किनारों से होकर गुजनेवाली इस रोड के पूर्ण होने से मुंबई की यातायात काफी आसान और व्यवस्थित हो जाएगी। फिलहाल रिक्लेमेशम, पाइलिंग, टनेल का काम किया जा रहा है।
यात्रा होगी आसान, प्रदूषण पर भी लगेगी लगाम
कहा जा रहा है कि मुंबई में कोस्टल रोड के पूर्ण होने के बाद जहां यात्रा सुचारु और काफी सुविधानजन हो जाएगी, वहीं प्रदूषण पर भी काफी हद तक नियंत्रण पाया जा सकेगा। इससे जहां लोगों को अपने गंतव्य तक पहुंचने में समय की बचत होगी, वहीं वाहनधारकों को भी कम ईंधन खपत होने से काफी लाभ होगा। यातायत सुचारु होने से महानगर में प्रदूषण कम फैलेगा और मुंबईकरो का जीवन जहां आसान हो सकेगा, वहीं उनके स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा। बताया जा रहा है कि कोस्टल रोड के आसपास हरित पट्टी निर्मित कर शहर को सुंदर और हरियाली युक्त बनाया जाएगा।
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10.58 किलोमीटर की कोस्टल रोड
कोस्टल रोड का निर्माण प्रिंसेज स्ट्रीट फ्लाईओवर से बांद्रा-वर्ली सी लिंक साउथ के अंतिम छोर तक किया जाएगा। 10.58 किलोमीटर की कोस्टल रोड पर चार प्लस चार लेन बनाए जाएंगे। इसके साथ ही पुल, चौड़ी-चिकनी सड़कें और टनेल आदि का निर्माण भी किया जाएगा। टनेल बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली टीबीएम मशीन का व्यास 12.19 मीटर है। यह देश की अब तक की सबसे ज्यादा व्यास वाली टीबीएम मशीन है। कोस्टल रोड के अभियंता ने बताया कि 11 मीटर लंबे टनेल खोदने के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।
प्रोजेक्ट के तीन भाग
- भाग1- प्रिंसेज स्ट्रीट फलाइओवर से प्रियदर्शिनी पार्क तक( 4.05 किमी.)
- भाग 2-प्रियदर्शिनी पार्क से बड़ोदा पैलेस तक( 3.82 किमी.)
- भाग 3- बड़ोदा पैलेस से बांद्रा वर्ली सी लिंक तक( 2.71 किमी.)
कोस्टल रोड की विशेषताएं
कोस्टल रोड की कुल लंबाई 10.58 किमी.
इंटरचेंज समेत लंबाई 15.33 किमी.
टनेल की लंबाई 2.072 किमी.
प्रोजेक्ट की कुल लागतः 8 करोड़, 429 करोड़ रुपए
ठेकेदार कंपनियां
मेसर्स लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड
मेसर्स एचसीसी- एचडीसी का संयुक्त रुप से
भूमिगत कार पार्किंग के लिए चार जगह आरक्षित
अक्टूबर 2018 से काम शुरू
अमरसन गार्डन के पास 200 और हाजी अली के पास 1200 वाहनों की पार्किंग व्यवस्था। इसके आलावा वर्ली में बस डिपो प्रस्तावित है। प्रोजेक्ट का काम अक्टूबर 2018 से शुरू किया गया है। लेकिन मामला अदालत में चले जाने और फिर कोरोना की वजह से इसका काम काफी प्रभावित हुआ है।