आग प्रतिबंधक सुविधाओं के लिए महाराष्ट्र को चाहिए इतने करोड़!

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महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने अहमदनगर के सिविल अस्पताल में आग लगने की घटना के लिए सार्वजनिक निर्माण विभाग को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा है कि स्वास्थ्य विभाग ने जून 2021 में इस विभाग को 2 करोड़ 60 लाख रुपए का बजट स्वीकृति के लिए भेजा था। यह बजट नए भवनों में आग लगने की घटनाओं को रोकने के लिए अग्नि सुरक्षा सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए था। हालांकि, इसे अभी तक मंजूरी नहीं मिली है। टोपे ने कहा कि राज्य के लगभग 550 सरकारी अस्पतालों में आग की रोकथाम सुविधाओं के लिए 217 करोड़ रुपए की आवश्यकता है।

स्वास्थ्य मंत्री ने स्पष्ट किया कि नासिक संभागीय आयुक्त समिति को 7 दिनों के भीतर अहमदनगर के अस्पताल में आग लगने के कारणों की पूरी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है। रिपोर्ट में दोषी पाए गए सभी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

11 मरीजों की गई थी जान
अहमदनगर के जिला सरकारी अस्पताल की कोविड इंटेंसिव केयर यूनिट में 6 नवंबर की सुबह आग लग गई थी, जिसमें 11 लोगों की मौत हो गई। स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने 7 नवंबर को अस्पताल का दौरा किया। इस दौरान उन्होेंने वहां के कर्मचारियों और मृतक मरीजों के परिजनों से बात भी की।

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217 करोड़ रुपए की आवश्यकता
इस संबंध में स्वास्थ्य मंत्री टोपे ने कहा कि भवन निर्माण के समय राशि उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग की है। भवन निर्माण, उसकी सुविधाओं, अग्नि निवारण प्रणाली के लिए निर्माण विभाग जिम्मेदार है। शहर में आग लगने वाली चार मंजिला इमारत साल 2017-18 में बनाई गई थी। जून 2021 में निर्माण विभाग को इसके विद्युत लेखा परीक्षा के लिए 7.50 लाख रुपए और आग रोकथाम सुविधाओं के लिए 26 लाख रुपए का बजट तकनीकी स्वीकृति के लिए भेजा गया था। बार-बार कोशिश करने के बाद भी उसे मंजूरी नहीं मिली। प्रदेश में 550 से अधिक सरकारी अस्पताल भवनों में आग से बचाव सुविधाओं के लिए 217 करोड़ रुपए की राशि की आवश्यकता है, जिसे मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री से तत्काल मंजूरी मिलनी चाहिए।

जिला स्तर पर अग्नि निवारण अधिकारी
स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा कि मुख्यमंत्री से चर्चा के दौरान कई मांगें की गईं। उन्होंने कहा कि राज्य भर में कई सरकारी अस्पताल भवन हैं। इन भवनों में आग की रोकथाम सुविधाओं के लिए जिला स्तर पर एक अग्नि निवारण अधिकारी नियुक्त किया जाना चाहिए। सभी सरकारी अस्पताल के कर्मचारियों को आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए और उनमें सीसीटीवी स्क्रीनिंग रूम स्थापित किया जाना चाहिए।

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