सुकमा में 33 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण, तीन लाख का ‘यह’ इनामी नक्सली भी शामिल

आत्मसमर्पण करने वाले सभी नक्सलियों को राज्य शासन की पुनर्वास नीति के तहत सहायता राशि और अन्य सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।

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छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में पुलिस अधीक्षक सुनील शर्मा की उपस्थिति में तीन लाख के इनामी सहित 33 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया। सुकमा जिला पुलिस ने 14 फरवरी की देर रात एक बयान में यह जानकारी दी। आत्मसमर्पण करने वाले सभी नक्सली किस्टाराम थाना क्षेत्र में घटित विभिन्न नक्सली गतिविधियों में शामिल रहे हैं।

पुलिस अधीक्षक शर्मा के अनुसार विगत सप्ताह जिले के अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र तोंडामरका और डब्बामरका में नवीन सुरक्षा कैंपों की स्थापना की गई है। कैंपों की स्थापना के साथ क्षेत्र में हो रहे विकासात्मक कार्यों से प्रभावित होकर नक्सली बड़ी संख्या में मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं। डब्बामरका में खुले नए कैंप में आयोजित जन दर्शन शिविर में बड़ी संख्या में ग्रामीणों की उपस्थिति के बीच 33 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया।

स्वास्थ्य शिविर का आयोजन
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि पहली बार जवानों के सहयोग से यहां 13 फरवरी को ग्रामीणों का आयुष्मान कार्ड बनाया गया। स्वास्थ्य शिविर लगा कर लोगों का इलाज भी किया गया। शिविर में डब्बामरका एवं आसपास के क्षेत्र के ग्रामीण बड़ी संख्या में शामिल हुए। शिविर में आये ग्रामीणों को सीआरपीएफ के डॉक्टरों की टीम द्वारा स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं जैसे सर्दी-जुकाम, बीपी, कमर दर्द, पीठ दर्द एवं मौसमी बीमारियों का परीक्षण कर दवाइयां दी गईं। कैंप शुरू होने से क्षेत्र में होने वाले विकासात्मक कार्य जैसे कि सड़क निर्माण, बिजली, पानी, स्वास्थ्य सुविधा, दूरसंचार, पीडीएस, शिक्षा, शासकीय भवन निर्माण एवं अन्य मूलभूत बुनियादी सुविधाओं के बारे में भी ग्रामीणों को जानकारी दी गई।

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राज्य शासन की पुनर्वास नीति के तहत दी जाएंगी सुविधाएं
पुलिस अधीक्षक शर्मा ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले सभी नक्सलियों को राज्य शासन की पुनर्वास नीति के तहत सहायता राशि और अन्य सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी. के नेतृत्व में संचालित नक्सल विरोधी मुहिम के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि क्षेत्र में कैंप खुलने से पानी, बिजली, शिक्षा, चिकित्सा, दूरसंचार और शासकीय भवनों के निर्माण में तेजी आई है। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों का कहना है कि विकास की संभावनाओं को देखते हुए वह नक्सलवादी रास्ते को त्यागकर विकास की मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं।

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