पाकिस्तान के जेल से मुक्त हुए 80 मछुआरे, अभी भी रिहाई की बाट जोहते 200

भारतीय मछुआरे मछली पकड़ने के लिए कई बार पाकिस्तान की जल सीमा में प्रवेश कर जाते हैं। इसके बाद पाकिस्तानी मरीन इन्हें पकड़कर जेल में डाल देती है।

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गुजरात और केन्द्र शासित प्रदेश के 80 मछुआरे (fishermen) 12 नवंबर को को ट्रेन के जरिए वाघा बार्डर (Wagah Border) से वडोदरा रेलवे स्टेशन पहुंचे। यहां राज्य के मत्स्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने उनका स्वागत कर उन्हें दो एसी लग्जरी बसों से वेरावल के लिए रवाना किया। वाघा वार्डर पर 10 नवंबर की रात इन सभी मछुआरों को सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद गुजरात सरकार के मत्स्य विभाग के अधिकारियों के हवाले किया गया। इसके बाद इन सभी को ट्रेन से वडोदरा के लिए रवाना किया गया था।

पाकिस्तानी जेल (Pakistan jail) से मुक्त (freed) किए गए मछुआरों में से गिर सोमनाथ जिले के 59, देवभूमि द्वारका के 15, जामनगर के 2, अमरेली के एक मिलाकर गुजरात के 77 समेत दीव के तीन मछुआरे हैं।

अभी भी 200 मछुआरे पाकिस्तानी जेलों में
जानकारी के अनुसार भारतीय मछुआरे मछली पकड़ने के लिए कई बार पाकिस्तान की जल सीमा में प्रवेश कर जाते हैं। इसके बाद पाकिस्तानी मरीन इन्हें पकड़कर जेल में डाल देती है। केन्द्र सरकार के प्रयत्नों और आपसी समझौते के बीच पाकिस्तान जेल से इन 80 भारतीय मछुआरों को भारत वापस लाने में सफलता मिली है। इन सभी मछुआरों को वर्ष 2020 में पकड़ा गया था। अभी करीब 200 मछुआरे पाकिस्तान के जेलों में सजा काट रहे हैं।

वाघा बार्डर पर मत्स्य विभाग के सहायक निदेशक जीग्नेश कुमार, डॉ ध्रुव दवे, कौशिक दवे, परवेज जीलानी, ओनराजा मकरानी समेत अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

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