राजधानी लखनऊ में बने लुलु मॉल उद्घाटन के बाद से ही विवादों के घेरे में आ गया। सोशल मीडिया पर लोगों ने आरोप लगाया कि मॉल प्रबंधन ने एक विशेष समुदाय को प्रमुखता देखकर अपने यहां भर्ती की है, जबकि उन समुदाय के सापेक्ष हिन्दू धर्म के लोग बहुत कम हैं। यह भी आरोप लगे कि एक वर्ग की महिलाओं को और एक वर्ग के पुरुषों को नौकरी दी गई है। ऐसे कई आरोप लगने के बाद मॉल प्रबंधन ने बयान जारी कर सभी आरोपों का खण्डन किया है।
लुलु मॉल के क्षेत्रीय निदेशक, जय कुमार गंगाधर ने 17 जुलाई को एक पत्र जारी किया है। उन्होंने कहा कि लुलु मॉल एक पूर्णतया व्यावसायिक प्रतिष्ठान है। बिना किसी जाति, धर्म और वर्ग का भेद किए हुए व्यवसाय करता है। मॉल में आने वाले सभी ग्राहक उसके लिए सर्वोपरि हैं। यह प्रतिष्ठान शासन के नियमों के निर्धारित मर्यादा में व्यवसाय करता है।
80 प्रतिशत हिंदू कर्मचारी
क्षेत्रीय निदेशक, जय कुमार गंगाधर ने यह भी कहा कि हमारे यहां जो भी कर्मचारी हैं, वे जाति, धर्म, मत और मजहब के नाम पर नहीं बल्कि अपनी कार्य कुशलता एवं मेरिट के आधार पर रखे जाते हैं। कुछ स्वार्थी तत्व के लोग प्रतिष्ठान को निशाना बनाने का प्रयास कर रहे हैं। इस प्रतिष्ठान में जितने भी कर्मचारी हैं, जो स्थानीय और आसपास के जिलों से हैं। इनमें 80 प्रतिशत हिन्दू वर्ग के लोग हैं।
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नमाज पढ़ने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज
आगे उन्होंने कहा कि हमारे प्रतिष्ठान में किसी भी व्यक्ति को धार्मिक गतिविधियां संचालित करने की छूट नहीं है। जिन लोगों ने सार्वजनिक स्थान पर प्रार्थना एवं नमाज पढ़ने की कोशिश की है, उनके खिलाफ प्रबंधन ने एफआईआर दर्ज कराई गई है। उन्होंने अपील की है कि प्रतिष्ठान को निहित स्वार्थ के लिए निशाना न बनाएं। हमें ग्राहकों के हितों का ध्यान रखते हुए शांतिपूर्वक व्यवसाय करने दें।