सर्वोच्च न्यायालय ने समाजवादी पार्टी नेता आजम खान के पुत्र अब्दुल्ला आजम का स्वार सीट से निर्वाचन रद करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराया है।
कोर्ट ने 20 सितंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान अब्दुल्ला आजम की ओर से कहा गया था कि यह फर्जी दस्तावेज का मसला नहीं है, यह उन पर दर्ज जन्मतिथि का मसला है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता नवाब काजिम अली के वकील ने कहा था कि 2015 तक सभी दस्तावेजों पर अब्दुल्ला आजम की जन्मतिथि 1993 ही थी, इसमें कोई संदेह नहीं है।
अब्दुल्ला के वकील कपिल सिब्बल ने दी थी दलील
इससे पूर्व 14 सितंबर को सुनवाई के दौरान अब्दुल्ला के वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि स्कूल के ट्रांसफर सर्टिफिकेट को जन्म प्रमाण का सबूत नहीं माना जा सकता है। कपिल सिब्बल ने कहा था कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने किसी भी दस्तावेज की जांच नहीं की। हाई कोर्ट ने सिर्फ याचिकाकर्ता की दलीलों को आधार मान कर अपनी एक राय बनाई। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा था कि इस परिवार की हर चीज़ सवालों के घेरे है। क्या कोर्ट उन दस्तावेजों पर भरोसा कर सकता है, जो संदेहास्पद है और सवालों के घेरे में है।
2017 में मिली थी जीत
बता दें कि अब्दुल्ला ने 2017 के विधानसभा चुनाव में रामपुर की स्वार विधानसभा सीट से जीत हासिल की थी। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अब्दुल्ला को अयोग्य करार देते हुए विधानसभा की सदस्यता रद्द कर दी थी।