शिल्पा शेट्टी को राहत नहीं! मुंबई उच्च न्यायालय ने की ये टिप्पणी

बॉम्बे उच्च न्यायालय ने शिल्पा शेट्टी की अर्जी पर सुनवाई करते हुए कहा कि उनके खिलाफ रिपोर्टिंग करने को रोकने का आदेश जारी करने से मीडिया की आजादी पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।

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बॉम्बे उच्च न्यायालय से अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी को झटका लगा है। न्यायालय ने उनकी अर्जी पर सुनवाई करते हुए कहा कि शिल्पा शेट्टी के खिलाफ रिपोर्टिंग करने को रोकने का आदेश जारी करने से मीडिया की आजादी पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। हालांकि जस्टिस गौतम पटेल ने निजी व्यक्तियों के यूट्यूब चैनलों पर अपलोड 3 वीडियो को हटाने का निर्देश दिया। जस्टिस ने उन्हें दुर्भावनापूर्ण बताते हुए हटाने और दोबारा अपलोड न करने क निर्देश दिया।

न्यायालय ने कहा कि प्रेस की स्वतंत्रता को व्यक्ति की निजता के अधिकार के साथ संतुलित रखना होगा। पोर्न फिल्में बनाने और उन्हें ऐप पर रिलीज करने के आरोप में शिल्पा के पति राज कुंद्रा की गिरफ्तारी के बाद अभिनेत्री की नैतिकता पर तीन वीडियो में टिप्पणी की गई थी और उनके अभिभावक की भूमिका पर सवाल उठाए गए थे। न्यायालय 19 जुलाई को कुंद्रा की गिरफ्तारी के बाद शिल्पा और उनके परिवार के खिलाफ कथित मानहानिकारक खबरों को प्रकाशित किए जाने पर दायर मुकदमे पर सुनवाई कर रहा है।

न्यायालय की टिप्पणी
फिलहाल राज कुंद्रा न्यायिक हिरासत के तहत जेल में हैं। शिल्पा ने एक अंतरिम अर्जी देकर किसी भी गलत, झूठी, दुर्भावनापूर्ण और मानहानिकारक सामग्री को प्रकाशित करने पर रोक लगाने का अनुरोध किया है। जस्टिस पटेल ने कहा की मीडिया को रोके जाने की मांग करनेवाले अनुरोध को मानने से प्रेस की स्वतंत्रता पर बुरा असर पड़ेगा। न्यायालय ने कहा कि अच्छी या खराब पत्रकारिता क्या है, उसकी एक न्यायिक सीमा है, क्योंकि वह प्रेस की स्वतंत्रता से बहुत ही करीबी तौर पर जुड़ा है। न्यायालय ने कहा कि अभिनेत्री ने अपने वाद में जिन खबरों का उल्लेख किया है, वे मानहानिकारक नहीं प्रतीत होते हैं, क्योंकि ज्यादातर खबरें पुलिस रिपोर्ट पर आधारित हैं।

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शिल्पा शेट्टी का पक्ष
बता दें कि शिल्पा की अर्जी में 25 करोड़ रुपए की क्षतिपूर्ति की मांग करते हुए कहा गया है कि कई मीडिया प्रकाशनों और गूगल, फेसबुक तथा यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने उन्हें नुकसान पहुंचाया है और उनके सम्मान को ठेस पहुंचाया है। उन्होंने इन पर से अपने और अपने परिवार के बारे में मानहानिकारक सामग्री को हटाने का निर्देश देने की मांग की है।

अनुरोध खतरनाक
इस बारे में टिप्पणी करते हुए न्यायलय ने कहा कि आपकी यह मांग खतरनाक है। फिलहाल उच्च न्यायालय ने प्रतिवादियों को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 20 सितंबर को होगी।

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