भारत और चीन के संबंध पिछले करीब डेढ़ साल से काफी तनावपूर्ण हैं। गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद भारत में चीन को लेकर संदेह और अविश्वास का माहौल पैदा हो गया है। इसी कड़ी में जांच के बाद भारत सरकार ने देश में 150 से अधिक चीनी मोबाइल ऐप पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसमें कई सोशल मीडिया ऐप भी शामिल थे। अब भारत चीनी मोबाइल कंपनियों पर भी कड़ी नजर रख रहा है। भारत सरकार उन कंपनियों से उनके द्वारा उपयोग किए जाने वाले पुर्जों और मोबाइल में पहले से इंस्टॉल किए गए सॉफ्टवेयर के बारे में जानकारी मांग सकती है।
चीन की चाल से सतर्क है भारत सरकार
चीनी मोबाइल ऐप पर इसलिए प्रतिबंध लगा दिया गया था क्योंकि जांचकर्ताओं को संदेह था कि भारत के नागरिकों की व्यक्तिगत जानकारी चोरी या निगरानी की जा रही है, और कुछ मामलों में यह साबित भी हुआ था। उसके बाद भारत में मोबाइल फोन बेचने वाली चीनी कंपनियों पर भी संदेह पैदा हो गया है। इसके साथ ही पूर्वोत्तर सीमा पर चीन की लगातार आक्रामकता बढ़ने के चलते भारत चीनी उत्पादों को लेकर काफी सतर्क है।
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मोबाइल के पुर्जों की होगी गहन जांच
भारत में चीनी मोबाइल बेचने वाली कंपनियों में शाओमी,रेडमी, ओप्पो, वीवो आदि शामिल हैं। इन कंपनियों के मोबाइल में पहले से इंस्टॉल हो रहे एप्लिकेशन की जांच की संभावना है। सूत्रों ने यह भी बताया कि इन मोबाइल कंपनियों को उन अन्य कंपनियों की सूची जमा करने को कहा गया है, जिनसे वे मोबाइल के पुर्जे खरीदते हैं।
उद्देश्य सुरक्षा सुनिश्चित करना है
इस संबंध में सरकार ने एक स्टैंड लिया है कि इसका उद्देश्य चीनी कंपनियों को किसी भी तरह से डराना नहीं है, बल्कि सुरक्षा सुनिश्चित करना है। सूत्रों ने बताया कि अगर चीनी कंपनियों को यकीन है कि उनके उत्पादों में कोई गड़बड़ी या जासूसी के एप्लिकेशंस नहीं हैं, तो उन्हें चिंता करने की कोई बात नहीं है।