सर्वोच्च न्यायालय ने बसपा नेता अफजाल अंसारी को गैंगस्टर एक्ट के तहत दोषी ठहराए जाने के गाजीपुर के स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।
31 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान अफजाल अंसारी की ओर से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि 1993 की एफआईआर में ऐसा कुछ नहीं था, जो यह दिखाता हो कि अफजाल अंसारी घटना में शामिल थे। रिकॉर्ड पर भी ऐसा कुछ नहीं है, जिससे यह साबित हो कि अफजाल अंसारी ने गवाहों को धमकाने और सबूतों को प्रभावित करने की कोशिश की हो। इतना ही नहीं, ट्रायल कोर्ट ने मामले के निपटारे में देरी की और कोर्ट का फैसला आने के बाद संसद की सदस्यता निलंबित कर दी गई।
तीन बार विधायक और दो बार सांसद
सिंघवी ने राहुल गांधी की संसद सदस्यता के निलंबन की बहाली के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला भी दिया। उन्होंने कहा कि अफजाल अंसारी तीन बार विधायक और दो बार सांसद रहे हैं। उन्होंने अपने क्षेत्र में कई विकास के काम और सामाजिक कार्य किए हैं। सिंघवी ने अफजाल अंसारी के दोष सिद्धि पर रोक लगाने की मांग करते हुए कहा कि चुनाव आयोग छह महीने बाद कभी भी आम चुनाव की घोषणा कर सकता है।
उप्र सरकार ने किया विरोध
अफजाल अंसारी की याचिका का उत्तर प्रदेश सरकार ने विरोध करते हुए कहा कि दोषसिद्धि पर ऐसे ही रोक नहीं लगाई जा सकती, इसके पीछे कोई वजह भी होनी चाहिए। अफजाल अंसारी को गैंगस्टर एक्ट जैसे आपराधिक मामले में दोषी करार दिया गया है, जिसमें न्यूनतम दो साल और अधिकतम 10 साल की सजा का प्रावधान है। यूपी सरकार ने अफजाल अंसारी मामले में राहुल गांधी के मामले का हवाला देने पर कहा गया कि राहुल गांधी के मामले में अधिकतम सजा दो साल ही थी। ऐसे में उस आदेश का हवाला वह नहीं दे सकते।
अफजाल पर लगाए आरोप
यूपी सरकार ने कहा कि कानून के सामने सांसद, विधायक और आम आदमी सब बराबर हैं। अगर अफजाल की दोषसिद्धि पर रोक लगाई जाती है, तो इसका समाज पर भी असर पड़ेगा। यूपी सरकार ने कहा कि अफजाल अंसारी दोषसिद्धि पर रोक के लिए लोकसभा सीट खाली होने की दलील नहीं दे सकते। अंसारी के खिलाफ अभी कई मामले में लंबित हैं। ऐसे में गैंगस्टर मामले में अफजाल अंसारी की दोषसिद्धि पर रोक नहीं लगाई जा सकती।
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कोर्ट ने यूपी सरकार को जारी किया था नोटिस
कोर्ट ने 15 सितंबर को उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया था। अफजाल अंसारी ने गैंगस्टर एक्ट के तहत दोषी ठहराए जाने के फैसले पर रोक लगाने की मांग की है। इस केस में गाजीपुर की स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट ने अफजाल अंसारी को 29 अप्रैल को दोषी करार देते हुए 4 साल की सजा सुनाई थी। इसी सजा की वजह से अफजाल अंसारी की लोकसभा की सदस्यता भी निरस्त कर दी गई थी।