DeepSeek : AI युद्ध में उतरा भारत, अमेरिका-चीन को देगा मात? 

अब ऐसा लगता है कि दोनों देशों के बीच एक नया उबाल पैदा हो रहा है, वह है प्रौद्योगिकी प्रतिद्वंद्विता, जहां आर्टिफीशियल इंटिलेजेंस नए शीत युद्ध के लिए मार्ग प्रशस्त कर रही है। 

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– कोमल यादव

DeepSeek : अमेरिका (America) महाशक्ति का खिताब (superpower title) रखता है, लेकिन कौन इस खिताब को हासिल करने के लिए प्रतिस्पर्धा नहीं करना चाहता? दरअसल, चीन (China) ने हमेशा इसे हासिल करने के बारे में सोचा है।

इसलिए लंबे समय तक, अमेरिका और चीन के बीच आर्थिक प्रतिस्पर्धा (economic competition), सैन्य तनाव, जासूसी मुद्दे, प्रतिबंधों या यहां तक ​​कि मानवाधिकारों के मामलों से लेकर विभिन्न मुद्दों पर संघर्ष होता आया है। लेकिन अब ऐसा लगता है कि दोनों देशों के बीच एक नया उबाल पैदा हो रहा है, वह है प्रौद्योगिकी प्रतिद्वंद्विता, जहां आर्टिफीशियल इंटिलेजेंस नए शीत युद्ध के लिए मार्ग प्रशस्त कर रही है।

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पूरी दुनिया में जंग
AI को लेकर मानो अब दुनिया में नई जंग छिड़ गई है (AI war) । पहले ChatGPT और Gemini AI ही सबसे बड़े मॉड्यूल थे। फिर एलन मस्क अपना खुद का Grok AI लेकर आए। अब चीन ने DeepSeek AI लॉन्च किया, जिसने आते ही अमेरिका की बड़ी-बड़ी टेक कंपनियों और दुनिया के रईसों को तगड़ा झटका दे डाला।

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क्यों पॉपुलर हो रहा ये DeepSeek R1?
DeepSeek R1 एक एडवांस लैंग्वेज मॉडल है। DeepSeek कंपनी का हेड क्वार्टर चीन के हांग्जो शहर में है, जिसकी शुरुआत 2023 में लिआंग वेनफ़ेंग ने की थी। इस कंपनी का मकसद AGI (आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस) डेवलप करना है। इसकी कीमत 0.55 डॉलर (करीब 47 रुपये) प्रति मिलियन इनपुट टोकन और 2.19 डॉलर (करीब 189 रुपये) प्रति मिलियन आउटपुट टोकन है। डीपसीक कंपनी के मुताबिक इस AI मॉडल को केवल दो महीने में तैयार किया गया है। जबकि OpenAI, Microsoft और Google को अपने AI मॉडल को बनाने में सालों लग गए। साथ ही  DeepSeek ने केवल 60 लाख डॉलर (6 मिलियन) ही खर्च किए हैं इसे बनाने में, जबकि अमेरिकी कंपनियों ने अरबों डॉलर खर्च किए हैं। सरल शब्दों में ये AI टूल इसलिए वायरल हुआ है क्योंकि ये कम कीमत, कम समय और कम लागत से बना है।

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ट्रंप भी हुए परेशान!
जब ये AI लांच हुआ तो अमेरिका में ही सबसे ज्यादा इस ऍप को डाउनलोड किया गया और एप्पल के ऑप स्टोर में यह नंबर 1 स्थान पर रहा। इतना ही नहीं, अमेरिकी टेक कंपनियों के शेयर ताश के पत्ते की तरह ढह गए। इसी के साथ दुनिया के कई अरबपतियों की नेटवर्थ भी कम हो गई। दुनिया के 500 अरबपतियों की संपत्ति में कुल 108 बिलियन डॉलर (करीब 9.34 लाख करोड़ रुपए) की गिरावट आई। सबसे ज्यादा नुकसान में ओरेकल कार्प के को-फाउंडर लैरी एलिसन और एनवीडिया के को-फाउंडर जेनसेन हुआंग रहे। एलन मस्क को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा और फिर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुद कहा है कि ये अमेरिका की टेक कंपनियों के लिए एक वेकअप कॉल है।

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DeepSeek पर लगे ‘चोरी’ के आरोप
OpenAI का कहना है कि DeepSeek ने उसके मॉडल की मदद से अपने AI मॉडल को ट्रेनिंग दी है। इसके समर्थन में अमेरिकी कंपनी ने सबूत भी पेश करने का दावा ठोका है। OpenAI ने कहा कि Microsoft ने उसे इस बारे में जानकारी दी थी। अब क्या ये दावा वाकई सही है, ये तो जांच में सामने आएगा, पर जिस तरीके से इसकी पॉपूलरिटी मिली है, उसी प्रकार से इससे टारगेट भी किया है। कंपनी ने दावा किया है कि इस पर साइबर अटैक हुआ था, जिस वजह से इन्हे ओपन सोर्स को रजिस्टर्ड लोगों तक ही सिमित करना पड़ा।

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भारत को लेकर चीन का दोगलापन
एक्स पर एक यूर्जस ने दावा किया कि डीपसीक चैटबॉट ने अरुणाचल प्रदेश के बारे में सवालों के जवाब देने से इनकार कर दिया है। उसके बाद उसकी शेयर की गई तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल होने लगी। फिर क्या था, कई  यूर्जस ने इस तरह के सवाल पूछकर अपने सोशल मीडिया पर डालना शुरू ‌किया।

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अरुणाचल पर बात करने से इनकार
जिस चीनी एआई डेवलपर डीपसीक (DeepSeek) ने पूरी दुनिया में तहलका मचाया हुआ है, वह भारत (India) के अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh), पूर्वोत्तर भारतीय राज्यों पर सवालों के जवाब देने से इनकार कर रहा है। आप किसी भी तरीके से उससे सवाल करिए, वह कुछ भी जवाब नहीं दे रहा और हर बार कह देता है ‘चलो कुछ और बात करते हैं।’

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कब होगा भारत का अपना AI मॉडल ?
केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि देश का वृहद भाषा मॉडल (LLM) अगले 10 महीनों के भीतर तैयार होने की उम्मीद है। भारत AI मिशन का एक प्रमुख लक्ष्य देश की भाषाई और सांस्कृतिक विविधता के अनुरूप घरेलू स्तर पर निर्मित AI मॉडल विकसित करने की राह पर है।

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चमकने का मौका
सरकार ने AI स्टार्टअप से प्रस्ताव मांगे हैं, जिसमें छह प्रमुख डेवलपर्स अब ऐसे मॉडल पर काम कर रहे हैं, जिनके 4-6 महीनों में तैयार होने की उम्मीद है, जिसकी अधिकतम समय सीमा 8-10 महीने तक की है।इसलिए, यह भारत के लिए चमकने और डिजिटल इंडिया के लिए अपना रास्ता बनाने का अच्छा अवसर है।

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